Mass Suicide : फंदे पर लटके 10 शव+1 लाश कमरे में = 11 लाशों का ढ़ेर...मनो ऑटोप्सी के चौकाने वाले खुलासे...पढ़ें

Mass Suicide : फंदे पर लटके 10 शव+1 लाश कमरे में = 11 लाशों का ढ़ेर…मनो ऑटोप्सी के चौकाने वाले खुलासे…पढ़ें

Mass Suicide : 10 dead bodies hanging on the noose + 1 corpse in the room = 11 dead bodies... the shocking revelations of the autopsy... read

Mass Suicide

नई दिल्ली/नवप्रदेश। Mass Suicide : याद है आपको दिल्ली के बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या कांड। 1 जुलाई को आज 4 साल हो गए लेकिन आज भी वो भयावह मंजर लोगों के दिलो-दिमाग को झकझोर कर रख देता है। आज भी अगर आप गूगल पर जाकर किसी सामूहिक हत्याकांड या बुराड़ी केस की खोज करते हैं तो बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या का मामला सबसे पहले आता है।

एक जुलाई वर्ष 2018 की सुबह देश ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया के लिए उत्तरी दिल्ली का बुराड़ी इलाका चर्चाओं का विषय बन गया था। स्थानीय लोग आज भी इस घटना को याद कर सिहर उठते हैं। वहां एक घर के 10 लोग एक साथ फंदे से लटके मिले थे, जबकि घर की सबसे बुजुर्ग महिला का शव एक कमरे से बरामद हुआ था।

जांच टीम के भी रोंगटे खड़े हो गए

एक साथ इतने लोगों की आत्महत्या (Mass Suicide) को देखकर जांच दल के भी रोंगटे खड़े हो गए थे। मौके पर हालात देखकर पुलिस ने शुरुआत में इस संबंध में हत्या का मामला दर्ज कर जांच अपराध शाखा से करवाई। जैसे-जैसे जांच बढ़ी तो पता चला कि बुराड़ी के चूंडावत परिवार ने एक अनुष्ठान के चक्कर में घर के 11 लोगों की जान दांव पर लगा दी, जिसके बाद सभी की मौत हो गई। दो भाइयों को लगता था कि पिता की आत्मा उन्हें अनुष्ठान के निर्देश देती है। ताकि घर में खुशहाली आ जाए।

मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी ने किए थे कई चुकाने वाले खुलासे

मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी (पोस्टमार्टम) करवाने के बाद पता चला कि कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता था। जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में केस की क्लोजर रिपोर्ट लगाकर इसको बंद करवा दिया था। इतने बड़े हादसे को नेटफ्लिक्स ने भी भुनाया। उसने घटना पर एक डॉक्योमेंट्री बना दी, जिसको खूब देखा गया।

बुराड़ी के संत नगर इलाके में चूंडावत परिवार दो मंजिला मकान में रहता था। इनके परिवार में बुजुर्ग नारायणी देवी (77), इनके दो बेटे भावनेश भाटिया (50), ललित भाटिया (45), भावनेश की पत्नी सविता (48), ललित की पत्नी टीना (42), नारायणी देवी की विधवा बेटी प्रतिभा (57) और तीनों भाई-बहनों के बच्चे प्रियंका (33), नीतू (25), मोनू (23), ध्रुव (15) और शिवम (15) शामिल थे। 

लोहे के जाल पर फंदे से लटका था पूरा परिवार

भावनेश उर्फ भुप्पी घर में ही किराने की दुकान चलाता था जबकि ललित की लकड़ी की दुकान थी। तड़के किराने की दुकान के लिए दूध और ब्रेड आया था, लेकिन 7 बजे तक भावनेश की दुकान नहीं खुली और न ही ब्रेड-दूध उठाया तो एक बुजुर्ग पड़ोसी घर के ऊपर पहुंचे। ऊपर पहुंचते ही उनके होश उड़ गए। 

पहली मंजिल पर पहुंचने पर अंदर छत पर लगे लोहे के जाल पर फंदे से पूरा परिवार लटका था। उनके हाथ-पैर बंधे थे। सभी की आंखों पर सफेद रंग की पट्टी भी बंधी हुई थी। मामले की सूचना पुलिस को दी गई। घटना आग की तरह फैली और हड़कंप मच गया।

देशभर के अलावा कई दूसरे देशों की मीडिया वहां पहुंच गई। घर की छत पर परिवार का पालतु कुत्ता बंधा हुआ पाया गया। जिसकी चंद दिनों बाद मौत हो गई। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की तो घर के अंदर से 13 रजिस्टर बरामद हुए।

अंधविश्वास ने ली पूरे परिवार की जान

उनकी जांच करने पर पता चला कि यह कोई सामूहिक हत्या नहीं थी। बल्कि एक अनुष्ठान था। परिवार को लगता था कि ललित और भावनेश के पिता की आत्मा पूजा-पाठ के बाद उनके पास आती है।

रजिस्टरों की जांच से पता चला कि घर में खुशहाली और मोक्ष के लिए पिता की आत्मा के कहने पर ही अनुष्ठान किया गया। सामूहिक आत्महत्या से एक दिन पूर्व उसकी बकायदा तैयारी की गई। फंदे से लटकने के लिए बाजार से स्टूल लाए गए।

घर नाबालिग इस अनुष्ठान के लिए तैयार नहीं थे तो उनके साथ डांट-डपटकर जबरदस्ती की गई। इसके भी निशान मिले थे। ललित और उसकी पत्नी टीना ने सबको फंदा लगाने के बाद सभी के स्टूल हटा लिये थे। 

बाद में दोनों खुद भी फंदे से लटक (Mass Suicide) गए थे। छानबीन के बाद यह पता चला कि घर के सभी लोगों को इस बात का पूरा यकीन था कि अनुष्ठान के बाद कोई भी नहीं मरेगा। लेकिन सभी अंधविश्वास के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठे।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *