Malaria : मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान सह सघन टीबी, मोतियाबिंद व स्कैबीज की पहचान एवं उपचार के लिए 230 गांवों में सर्वे
राजनांदगांव, नवप्रदेश। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत जिले के 230 संवेदनशील गांवों की 1.58 लाख से अधिक जनसंख्या के बीच मलेरिया के साथ ही टीबी, मोतियाबिंद व स्कैबीज रोगों की जांच कर सकारात्मक प्रकरणों को संपूर्ण उपचार देने का प्रयास तेज कर दिया गया है।
इस दौरान गांवों में शत-प्रतिशत जनसंख्या की रक्त जांच की जा रही है। गृह भेंट, कीटनाशक छिड़काव करने के साथ ही मच्छरदानी के उपयोग के बारे में प्रचार-प्रसार एवं स्वास्थ्य शिक्षा आम लोगो को दी जा रही है। वहीं मच्छर लार्वा नियंत्रण के लिए सोर्स रिडक्शन गतिविधियां की जा रही हैं।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की सफलता के लिए सर्वे दल के द्वारा विशेषकर उन गांवों में अभियान का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जहां वर्ष 2021 में वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर 0.5 प्रतिशत टोटल पॉजिटिव रेट (टीपीआर) से अधिक जांच में सकारात्मक दर पाई गई थी।
जांच के बाद आई चिंताजनक सकारात्मक दर को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी के मार्गदर्शन में जिले के विकासखण्डों के गांवों में मलेरिया एवं डेंगू रोग उन्मूलन हेतु विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं।
वर्तमान में जिले के विकासखण्ड मानपुर, मोहला, अंबागढ़ चौकी, छुरिया, डोंगरगांव, घुमका, डोंगरगढ़, खैरागढ़ एवं छुईखदान के 37 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के 108 उप स्वास्थ्य केन्द्रों के 230 संवेदनशील गांवों की 1.58 लाख से अधिक जनसंख्या में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का आयोजन किया जा रहा है।
इसके अंतर्गत सर्वे दल का गठन कर समस्त व्यक्तियों की मलेरिया के साथ ही टीबी, मोतियाबिंद व स्कैबीज रोगों की जांच कर सकारात्मक प्रकरणों के संपूर्ण उपचार का प्रयास किया जा रहा है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बतायाः सर्वे दल द्वारा संवेदनशील गांवों में 15 दिनों के बाद पुनः भ्रमण कर मलेरिया के लक्षण होने पर प्रकरण की पहचान कर जांच उपरांत संपूर्ण उपचार दिया जा रहा है एवं रैपिड फीवर सर्वे किया जा रहा है।
समस्त सकरात्मक प्रकरणों का एक माह पश्चात फॉलोअप कर पुनः जांच की जा रही है। वर्तमान में बारिश का मौसम चल रहा है, जिसमें विभिन्न संक्रामक बीमारियों के फैलने की संभावना होती है। ऐसे में बीमारियों की रोकथाम हेतु शहरी क्षेत्र में प्रत्येक गुरुवार तथा ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक बुधवार को सोर्स रिडक्शन गतिविधियां की जा रही है।
मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की जिला सलाहकार संगीता पांडेय ने बतायाः मलेरिया उन्मूलन के प्रति जन-जागरुकता के लिए सोर्स रिडक्शन गतिविधियों में गृह भेंट, दिवार लेखन एवं विभिन्न प्रचार-प्रसार कार्यों को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
इस क्रम में शहरी क्षेत्र में फागिंग, घर-घर सर्वे, लार्वा नियंत्रण संबंधी विभिन्न कार्यवाही जैसे-मलेरिया तथा डेंगू की रोकथाम एवं बचाव के संबंध लोगों को जागरुक किया जा रहा है।
घरों के आसपास सफाई रखते हुए डेंगू तथा मलेरिया के मच्छरों की उत्पत्ति के कारकों जैसे-कूलर, छत पर खुली टंकियों, फटे-पुराने टायर ट्यूब, टूट-फूटे मटके, बाल्टी, टीन एवं प्लास्टिक के डिब्बे, घर के सजावटी गमलों, मनी प्लांट के पॉट, मंदिर के कलश, फ्रीज की ट्रे आदि में पानी जमा न होने देने की अपील की जा रही है, ताकि मलेरिया या डेंगू के कारकों को पनपने से रोका जा सके।