Lok Sabha Elections : विपक्षी दलों में एकता की कवायद...

Lok Sabha Elections : विपक्षी दलों में एकता की कवायद…

Lok Sabha Elections: An exercise of unity among opposition parties...

Lok Sabha Elections

Lok Sabha Elections : २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए भाजपा विरोधी दलों में एकता कायम करने की कवायद अभी से शुरू हो गई है। सभी विपक्षी दलों को यह बात समझ मे आ चुकी है कि अगर वे अलग अलग चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा हो जाएगा और एक बार फिर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को सत्ता मिल जाएगी।

यही वजह है कि अभी से भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियों को साधने का (Lok Sabha Elections) प्रयास तेज हो गया है। इसकी पहल राष्ट्रवादी कांग्रेस सुप्रीमों शरद पवार ने की है जिन्होने चुनावी राणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ चर्चा करन केेे बाद अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी है। इसमें प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की क्या भूमिका होगी यह अभी तय नहीं है।

कांग्रेस पार्टी अन्य किसी दल की अगुवाई को शायद ही पसंद करें जबकि कई विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई ने गठबंधन बनाने के लिए शायद ही तैयार हो, ऐसी स्थिति में विपक्षी एकता कैसे कायम होगी इस बारे में फिलहाल कोई भी अनुमान लगाना मुश्किल है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी भी मुंगेरी लाल की तरह देश का प्रधानमंत्री बनने का हसीन सपना देख रही है। इसी सिलसिले में उन्होने पांच दिनों तक दिल्ली में डेरा डाला और नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा कई विपक्षी नेतओं से मुलाकात कर लंबी चर्चा ही है। ममता बेनर्जी का कहना है कि २०२४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर आना होगा।

उनकी यह बात तो सही हैे लेकिन विपक्ष में प्रधानमंत्री (Lok Sabha Elections) पद को लेकर ही खींच तान मचेगी ऐसे में यह एकता कायम हो पाना मुश्किल लगता है। उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण सामने है, जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे है वहां भाजपा के खिलाफ विपक्ष बिखरा हुआ है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी छोटे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लडऩे जा रही है, उनका कहना है कि वो किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।

बहुजन समाज पार्टी भी एकला चलो रे की नीति पर चल रही है, कांग्रेस यूपी में अलग थलग पड़ चुकी है। ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों में एकता कायम करने की यह कवायद कितनी सफल होती है यह आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी राणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए जो तानाबाना बुना है इसमें उन्हे कितनी सफलता मिल पाती है।

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