छत्तीसगढ़ में हो सकती है शराबबंदी, सरकार द्वारा गठित समिति में आये अहम सुझाव |

छत्तीसगढ़ में हो सकती है शराबबंदी, सरकार द्वारा गठित समिति में आये अहम सुझाव

Liquor can be banned in Chhattisgarh, important suggestions come in the committee formed by the government

Sharab bandi

रायपुर/नवप्रदेश। Sharab Bandi : छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी के लिए सरकार द्वारा गठित की गई सामाजिक संगठनों की पहली बैठक नवा रायपुर में हुई। बैठक में शराबबंदी के लिए रणनीति और इस दिशा में आगे बढ़ने तथा इस कदम से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इस बैठक में पूर्ण शराबबंदी को लेकर जन चेताना अभियान और नशाबंदी अभियान सहित विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय और विचार रखे।

सभी समाजिक प्रतिनिधियों ने पूर्ण शराबबंदी पर सहमति जताई और कहा कि शराबबंदी एकाएक लागू नहीं की जानी चाहिए। बैठक में शराबबंदी हेतु सुझाव देने के लिए गठित समितियों के विभिन्न राज्यों में अपनायी गई नीतियों और इसके प्रभावों के अध्ययन के लिए भ्रमण पर जाने के लिए सहमति प्रदान की गई।

शराब बंदी के लिए सामाजिक संगठनों की गठित समिति की प्रथम बैठक (Sharab Bandi) में समाज प्रमुखों ने कहा कि जन स्वास्थ्य और लोगों की सामाजिक-आर्थिक तथा पारिवारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पूर्ण शराबबंदी जरूरी है। लेकिन एकाएक शराबबंदी लागू नहीं की जानी चाहिए। इससे शराब के आदी लोगों को इससे स्वास्थ्यगत कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।

समाज प्रमुखों ने बैठक में सुझाव देते हुए कहा कि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की दिशा में आगे बढ़ने के लिए चुनिंदा स्थानों पर शराब की दुकान हो और शराब विक्रय की समय-सीमा में भी कटौती की जानी चाहिए। आबकारी नियमों का कड़ाई पालन सुनिश्चित हो तथा नियमों एवं कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

अवैध और जहरीली शराब (Sharab Bandi) के सेवन से उन्हें जान तक गवांनी पड़ सकती है। इसलिए सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही प्रदेश में चरण बद्ध ढंग से शराबबंदी की पहल की जानी चाहिए। सामाजिक संगठनों की बैठक में देश के ऐसे राज्य जहां शराब पूर्ण रूप से बंदी है तथा ऐसे राज्य जहां पूर्ण शराबबंदी के बाद इसे पुनः हटाया गया। इसके पीछे के कारणों और तथ्यों के विशलेषण पर भी जोर दिया गया।

बैठक में सामाजिक प्रतिनिधियों ने कहा कि आज कल युवा पीढ़ी में नशा एक फैशन बनते जा रहे है। नशे के रूप में युवा दवाईयों तथा अन्य साधन जैसे गुटखा, तम्बाखू का उपयोग कर रहे हैं, इस पर कड़ाई से रोक लगाए जाने की जरूरत है।

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