संपादकीय: विवादास्पद बयानों से बचे नेता

Leaders refrain from making controversial statements
Leaders refrain from making controversial statements: समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने करणी सेना को लेकर फिर एक बार विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि 19 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आगरा आ रहे है। करणी सेना वाले आकर हमसे दो-दो हाथ कर लें। हम भी इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा है गढ़े मुर्दे न उखाड़े जाए वरना उन्हें भारी पड़ जाएगा। रामजी लाल सुमन ने करणी सेना को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उनमें इतनी ही हिम्मत है तो वे जाकर चीन से लड़े।
जो हमारी जमीन पर कब्जा किए बैठा है। गौरतलब है कि इसके पूर्व रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था। उनके इस बयान के बाद करणी सेना भड़क गई थी और उसने आगरा में आकर राणा सांगा की जयंती मनाई थी और रामजी लाल सुमन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उनसे माफी मांगने की मांग की गई थी। लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था। रामजी लाल सुमन के विवादास्पद बयान का सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बचाव किया था और कहा था कि पूरी समाजवादी पार्टी रामजी लाल सुमन के साथ खड़ी है। सपा सुप्रीमो की सह मिलने के बाद रामजी लाल सुमन ने फिर विवादास्पद बयान दे दिया है।
यही नहीं बल्कि समाज वादी पार्टी के ही एक और नेता इंद्रजीत सरोज ने भी मंदिरों को लेकर अवांछनीय टिप्पणी कर दी है। उन्होंने कहा है कि यदि मंदिरों में ताकत होती तो मुगल भारत में आते ही नहीं। इंद्रजीत सरोज ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए बयान दिया है कि यदि मंदिरों और मठों में ताकत होती तो बाबाजी सत्ता की ताकत हाथ में नहीं लेते। उनके इस बयान को लेकर भी बवाल खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में अभी लगभग 2 साल का समय शेष है लेकिन समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अभी से विवादास्पद बयानबाजी करके अपने वोट बैंक को साधने की कवायद शुरू कर दी है।
सपा नेताओं और भाजपा नेताओं के बीच लगातार जुबानी जंग तेज होती जा रही है। राजनीति में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हिन्दू धर्म और देश के महापुरूषों को लेकर इस तरह की विवादास्पद बयानबाजी से इन बड़बोले नेताओं को परहेज करना चाहिए। अन्यथा इससे समाज में कटुता फैलती है और सामाजिक समरसता के लिए खतरा पैदा हो जाता है। किन्तु वोट बैंक की राजनीति के चलते बयानवीर नेता इस तरह के आपत्तिजनक बयान देकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने में लगे रहते हैं।
यह बात अलग है कि उनके ऐसे अनर्गल बयानों के कारण उनकी पार्टी को भी चुनाव के दौरान इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसके बावजूद अपनी आदत से मजबूर ये नेता विवादास्पद बयानबाजी से बाज नहीं आते। इन बड़बोले नेताओं की बदजुबानी पर रोक लगाने के लिए उनकी पार्टियों के हाईकमान को कारगर प्रयास करना चाहिए और ऐसे बयानवीर नेताओं को जिनके बयानों से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है उन्हें सबक सिखाने के लिए उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। तभी इस तरह की जुबानी जंग पर रोक लग पाएगी।