Korba ki News : रिश्वत मांगने पर दीपका तहसील के गेट पर बैठे भू–विस्थापित...कामकाज ठप्प...किसान सभा की घोषणा

Korba ki News : रिश्वत मांगने पर दीपका तहसील के गेट पर बैठे भू–विस्थापित…कामकाज ठप्प…किसान सभा की घोषणा

Korba ki News: Land-displaced sitting at the gate of Deepka Tehsil on demanding bribe...Work stopped...Announcement of Kisan Sabha

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दीपका/कोरबा/नवप्रदेश। Korba ki News : पटवारी से लेकर तहसील कार्यालय तक की रिश्वतखोरी से त्रस्त भूविस्थापितों द्वारा छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में आज दीपका तहसील कार्यालय के गेट पर ही धरना दे देने से कार्यालय का कामकाज ठप्प हो गया। किसान सभा का आरोप है कि एसईसीएल में रोजगार के लंबित पुराने प्रकरणों की फाइल निपटाने के लिए संबंधित आवेदकों को बड़े पैमाने पर घुमाया जा रहा है और उनसे पटवारी से लेकर तहसील कार्यालय तक पैसों की मांग की जा रही है। इससे त्रस्त भूविस्थापितों ने आज किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा की अगुआई में दीपका तहसील कार्यालय में ही धरना देकर कामकाज ठप्प कर दिया। 

आंदोलन की खबर फैलते ही क्षेत्र की जनता (Korba ki News) और किसान सभा व भू–विस्थापित रोजगार एकता संघ के कार्यकर्ता भी तहसील कार्यालय में जुट गए और भू–विस्थापितों की फाइल आगे नहीं बढ़ने तक घेराव जारी रखने की घोषणा कर दी। तीन घण्टे तक कार्यालय के घेराव के बाद कटघोरा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर और दीपका तहसीलदार रवि राठौर मौके पर पहुंचे और घेराव कर रहे आंदोलकारियों को उन्होंने आश्वासन दिया कि एक दिन के अंदर सभी लंबित रोजगार से संबंधित फाइलें आगे बढ़ जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि एसईसीएल द्वारा भूमि अधिग्रहण के एवज में रोजगार देने की मांग को लेकर इस क्षेत्र में एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। एसईसीएल के कुसमुंडा कार्यालय के सामने पिछले 423 दिनों से भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बैनर पर किसान सभा के समर्थन से अनिश्चित कालीन धरना दिया जा रहा है, तो वहीं पिछले कई महीनों से किसान सभा द्वारा गेवरा खदान विस्तार क्षेत्र में धरना दिया जा रहा है। इस दौरान कई बार खदानों को बंद किया गया है और रास्ता जाम आंदोलन हुए हैं। इससे नियमों को शिथिल कर पुराने प्रकरणों में रोजगार देने के काम में तेजी आई है।

इसके साथ ही अब भूविस्थापितों को दूसरे मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है, और वह है राजस्व से संबंधित कार्यवाहियों को पूरा करना। रोजगार सत्यापन, फौती, मृत्यु प्रमाण पत्र, त्रुटि सुधार, वंशवृक्ष, मुआवजा आदि कामों के लिए उन्हें बार–बार तहसीलों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और कोई भी काम घूस दिए बिना नहीं हो रहा है। 

किसान सभा ने एलान किया है कि इस मोर्चे पर भी भूविस्थापितों की लड़ाई लड़ी जाएगी। प्रशांत झा का कहना है कि कलेक्टर बार–बार बयान दे रहे हैं कि भू–विस्थापितों के पुराने लंबित प्रकरणों का निराकरण हो रहा है, लेकिन वास्तविकता यही है कि उनके अधीनस्थ कार्यालयों से भूविस्थापितों की फाइलें आगे नहीं बढ़ रही है। इस बयानबाजी का एकमात्र मकसद लोगों को भ्रमित करना है, ताकि नए अधिग्रहण के लिए माहौल बनाया जा सके। 

उन्होंने कहा कि जब प्रदेश के राजस्व मंत्री के गृह जिले में ही भू–विस्थापित किसान अपनी जमीन अधिग्रहण के बाद रोजगार और मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं, तो पूरे प्रदेश में राजस्व विभाग का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। स्थिति यह है कि राजस्व मंत्री की बात कलेक्टर नहीं सुन रहे हैं और कलेक्टर के निर्देशों को कोई तहसीलदार मानने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में अब एसईसीएल के साथ साथ तहसील कार्यालयों के खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा। किसान सभा ने इस घेराव के साथ घोषणा की है कि जिस कार्यालय में भी भू–विस्थापितों के लंबित प्रकरणों की फाइल रुकेगी, किसान सभा के कार्यकर्ता उसी कार्यालय में बैठकर आंदोलन शुरू कर देंगे। 

धरना में प्रमुख रूप से (Korba ki News) दामोदर श्याम, रेशम यादव, अमृत बाई, अनिल बिंझवार, मोहन यादव, पवन यादव, शिवदयाल कंवर, उमेश, राहुल, राधेश्याम, आनंद, कृष्णा, शिव, सतवन, सुमेंद्र सिंह, जय कौशिक, ओमकार, फणींद्र, मुनिराम आदि के साथ बड़ी संख्या में भू–विस्थापित उपस्थित थे।

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