kisan andolan: अब सड़क से SC तक किसानों का संघर्ष, दायर की याचिका
नई दिल्ली/ए.। kisan andolan: कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भारतीय किसान यूनियन की ओर से दायर याचिका में कहा है कि नए कानून उन्हें कॉर्पोरेट लालच का शिकार बना देंगे।
सरकार से कई दौर की बातचीत और संशोधन प्रस्ताव खारिज करने के बाद किसानों ने एक तरफ आंदोलन तेज करने का फैसला किया है तो दूसरी तरफ उन्होंने न्यायपालिका का भी सहारा लिया है।
किसानों (kisan andolan) ने यह कदम केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज करने के बाद उठाया है जिसमें मोदी सरकार ने कहा है कि वह कानून के उन प्रावधानों में संशोधन को तैयार है जिनको लेकर उन्होंने आपत्ति जताई है।
कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं किसान:
सरकार ने एमएसपी पर लिखित में भरोसा देने की बात कही है तो यह भी आश्वासन दिया है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में करार केवल फसल के लिए होगा, इसलिए जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता है। हालांकि, किसान कानूनों (kisan andolan) को वापस लेने पर अड़ गए हैं।
इधर सरकार की किसानों को दो टूक-
आंदोलन छोड़, अपनाएं बातचीत का रास्ता
मोदी सरकार ने शुक्रवार को किसानों से दो टूक कहा है कि उन्हें आंदोलन छोड़कर बातचीत करनी चाहिए। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार को मीडिया से ही पता चला है कि किसानों ने सरकार द्वारा नए कृषि कानूनों (kisan andolan) पर भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
मालूम हो कि सरकार ने हाल ही में एक 20 पन्नों का प्रस्ताव किसानों के पास भेजा था और अपील की थी कि वे अपना आंदोलन समाप्त कर दें। इस प्रस्ताव में कानून में कई प्रकार करने के संशोधन की बात की गई थी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ”हमारे प्रस्ताव में, हमने उनकी आपत्तियों के समाधान का सुझाव देने का प्रयास किया है। उन्हें आंदोलन छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। सरकार बातचीत के लिए तैयार है।
‘ उन्होंने दावा किया कि सरकार ने जो कानून (kisan andolan) बनाए हैं, वे किसानों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए बनाए गए हैं। तोमर ने कहा, ”कानूनों में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसान अच्छी जिंदगी जी सकें और लाभकारी कृषि में जा सकें।”
हमारे प्रस्ताव में था समाधान : तोमर
उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रस्ताव में, हमने उनकी आपत्तियों के समाधान का सुझाव देने का प्रयास किया है। उन्हें आंदोलन छोड़कर चर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए। सरकार बातचीत के लिए तैयार है। मुझे लगता है कि एक समाधान मिल जाएगा।
मुझे आशा है। मैं किसान (kisan andolan) संगठनों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे गतिरोध को तोड़ें। सरकार ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा है। यदि किसी अधिनियम के प्रावधानों पर आपत्ति है, तो इस पर चर्चा करें।