Karnataka Victory : कर्नाटक के सियासी नाटक का पटाक्षेप

Karnataka Victory : कर्नाटक के सियासी नाटक का पटाक्षेप

Karnataka Victory: The conclusion of the political drama of Karnataka

Karnataka Victory

Karnataka Victory : कर्नाटक में प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में लौटी कांग्रेस पार्टी ने एक सप्ताह की माथापच्ची के बाद आखिरकार सियासी नाटक का पटाक्षेप करने में सफलता पा ली। मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धा रमैया और डी के शिवकुमार के बीच जो रस्सा कसी चल रही थी उसे देखते हुए पार्टी आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें खीच गई थी। सिद्ध रमैया और डी के शिवकुमार दोनों ही मुख्यमंत्री पद की जिद पर अड़े हुए थे। पार्टी आलाकमान ने कई फार्मूले सामने रखे लेकिन बात नहीं बन पा रही थी। डी के शिवकुमार मुख्यमंत्री पद से कम किसी पद पर मानने को तैयार ही नहीं थे।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े जो खुद कर्नाटक के है उन्हे लगातार बैठके कर के बीच का रास्ता निकालने के लिए जमकर माथा पच्ची करनी पड़ी। आखिरकार कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद ही डी के शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद स्वीकारने के लिए राजी हुए। डी के शिवकुमार को और भी क्या आश्वासन मिला है यह तो पता नहीं लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि डी के शिवकुमार की सभी शर्ते मान ली गई है। डी के शिवकुमार ने यह शर्त रखी थी कि प्रदेश में उपमुख्यमंत्री वे अकेले ही रहेंगे।

जबकि पार्टी तीन लोगों को उपमुख्यमंत्री बनाना चाह रही थी। इसके साथ ही डी के शिवकुमार ने प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष पद पर भी बने रहने की शर्त रखी थी वह भी मान ली गई है। सिद्ध रमैया पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे या ढाई साल बाद डी के शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। बहरहाल कर्नाटक का सियासी नाटक अब खत्म हो गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सिद्ध रमैया के नेतृत्व में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब अपने चुनावी बांतों को अमलीजामा पहनाने के लिए काम करेगी। इस चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की है।

बताया जाता है कि विधायक दल की बैठक में 95 विधायकों ने खुलकर सिद्धारमैया का नाम लिया। मतलब विधायक सिद्धारमैया को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस ने सिद्धारमैया की जगह डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बना दिया होता तो संभव है कि आगे चलकर सिद्धारमैया बगावत कर सकते थे। दूसरा सबसे बड़ा कारण डीके शिवकुमार पर चल रहे मुकदमे हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता यही रही कि डीके शिवकुमार के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इस बीच, कर्नाटक के डीजीपी को ही सीबीआई का नया डायरेक्टर भी बना दिया गया है।

कहा जाता है कि सीबीआई के नए डायरेक्टर डीके शिवकुमार को करीब से जानते हैं। दोनों के बीच बिल्कुल नहीं बनती है। ऐसे में कांग्रेस को लगा कि अगर डीके शिवकुमार को सीएम बना दिया जाता है तो सीबीआई उनकी पुरानी फाइलों को खोल देगी, जिसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ेगा। सिद्धारमैया की पकड़ हर तबके में काफी अच्छी है। खासतौर पर दलित, पिछड़े और मुसलमानों के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं। ऐसे में अगर सिद्धारमैया को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री (Karnataka Victory) नहीं बनाया होता तो संभव है कि वह पार्टी के खिलाफ जा सकते थे।

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