Kamar Bhunjia:आज भी सरकारी योजनाओं से वंचित हैं ये जनजाति,मिलने वाले लाभ पर उठता सवाल…
देवभोग/नवप्रदेश। Kamar Bhunjia:छत्तीसगढ़ में कमार भूंजिया जनजाति को लाभ पहुंचाने कई सरकारी योजनाओं की शुरुआत की गई,लेकिन इन जनजातियों तक पहुंची कुछ ही योजनाएं। 21 प्रकार के योजनाओं का लाभ कमार भूंजिया जनजाति के लोगों को किस तरह से मिल रहा है, यह कमार भूंजिया जाति के लोगों की तस्वीर देखकर आकलन किया जा सकता है।
मतलब साफ़ है कि अधिकांश योजना जिम्मेदार अधिकारी और गिनती के लोगों तक पहुंच कर सिमट जाती है। जबकि पढ़ाई से लेकर कमार भूंजिया लोगों की आर्थिक स्थिति बढ़ाने के लिए काफी महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित है।
योजनाओं से दूर है जनजाति
आदिवासी कमार भूंजिया (Kamar Bhunjia) विकास प्राधिकरण वेबसाइट के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए शासकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिला कर प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। इसके साथ ही छात्रों को भोजन सहाय योजना के अंतर्गत 500-500 रुपए सहायता देने का प्रावधान भी है। वहीं युवा कैरियर निर्माण के तहत अनुसूचित तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्नातकों को संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी के लिए विशेष कोचिंग हेतु बड़े-बड़े संस्थान भेजने की योजना भी बनी हुई है। इसके साथ ही शिक्षा की मुख्यधारा से इन बच्चों को जोडऩे के लिए खाना-पीना कपड़ा उठने बैठने की तमाम व्यवस्था होती है। फिर भी देवभोग के बिजा पद्र, मदलझरिया, बेसनपानी, तालपानी सहित करीबी गांव के कमार भूंजिया जनजाति के बच्चे अभी भी शिक्षा से कोसों दूर हैं।
करोड़ों का खर्च पानी में
इसके अलावा सरकार द्वारा कमार परिवारों की आर्थिक स्थिति बढ़ाने बांस, टोकरी एवं सुपा सहित अन्य निर्माण की व्यवस्था के लिए भी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कमार भूंजिया (Kamar Bhunjia) लोगों को जंगल के बीच आवागमन में सहूलियत मिल पाए, इसके लिए स्थानीय विकास कार्यक्रम अंतर्गत पुल, पुलिया, रफ्टा, भवन, चिकित्सा, आवास का निर्माण कराने के लिए लाखों करोड़ों रुपए आवंटित किया जाता है। मगर आज भी जंगल में निवास कर रहे कमार भूंजिया जनजाति के लोग पगडंडी मार्ग से छोटे-छोटे नाले को पार कर आवागमन करने को मजबूर हैं।
मुख्यधारा से कोसो दूर
सड़क पुलिया व्यवसाय की सहायता नहीं मिलने से कमार भूंजिया जनजाति के लोग बदहाली का जीवन यापन करने को विवश हैं। बताया जाता है कि कमार और भूंजिया जनजाति के लोगों के लिए अलग-अलग कई योजनाएं संचालित है। लेकिन यह योजना गरियाबंद कार्यालय से शुरू होकर कार्यालय पर ही दम तोड़ देती है। यही कारण है कि 70 सालों बाद भी कमार भूंजिया के भोले भाले लोग समानता की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। जिसकी खबर ना विभागीय मंत्री को होती है और ना जिला के मुखिया को। क्योंकि आदिवासी विकास प्राधिकरण के अधिकारी कागज पर योजनाओं का क्रियान्वयन कर गुमराह करने की बात कही जाती है। शायद यही वजह है कि कई बार योजनाओं की जांच की मांग उठ चुकी है, लेकिन सांठगांठ के चलते जांच पर कार्यवाही भी नहीं हो पाता।
बिंद्रा नवागढ़ के विधायक डमरू धर पुजारी ने कहा कि समय समय पर भूंजिया जनजाति के उत्थान के लिए सरकार द्वारा पहल तो की जाती है। लेकिन यदि सरकारी योजना उन तक नहीं पहुँच पा रही है तो ये काफी दुखद है। विधायक ने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ जंगल में निवास करने वाले कमार भूंजिया जनजाति को नहीं मिलने को लेकर विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान सवाल उठाया जाएगा और उदासीन अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की जाएगी।