बगैर मिट्टी-गिट्टी परीक्षण के चल रहा 8 करोड़ के गौरवपथ का स्तरहीन निर्माण
नवप्रदेश संवाददाता
जांजगीर-चांपा। गौरवपथ निर्माण में लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। निर्माण से पहले बेस बनाने के लिए जहां-तहां से मिट्टी और गिट्टी लाकर डंप कर दिया जा रहा है। इन गिट्टी और मिट्टी की गुणवत्ता को यहां देखने वाला भी कोई नहीं है, जबकि बेस के लिए प्रयुक्त गिट्टी और मिट्टी की टेस्टिंग अनिवार्य है। हर माह हजारों रुपए तनख्वाह उठाने वाले नगरपालिका के इंजीनियरों को अपने दफ्तर से बाहर झांकने तक की फुर्सत नहीं है। इसका ठेकेदार जमकर फायदा उठा रहा है।
कोसा, कांसा व कंचन की नगरी चांपा कई मायने में काफी महत्वपूर्ण है। यहां रेलवे जंक्शन के साथ ही हसदेव नदी प्रवाहित होती है। इसके बावजूद कमजोर नेतृत्व के चलते चांपा हमेशा से उपेक्षित रहा है। यही वजह है कि चांपा का अपेक्षित विकास नहीं हो सका। हालांकि बीते कुछ सालों से चांपा के विकास को गति मिल रही है। रामबांधा तालाब सौंदर्यीकरण के साथ ही रेलवे स्टेशन मार्ग का डिवाइडरयुक्त निर्माण प्रारंभ होने से चांपा के विकास को नया आयाम मिलेगा। साथ ही भारी वाहनों ने गौरवपथ का सत्यानाश कर दिया था, लेकिन नए सिरे से इस मार्ग का और खुबसूरत तरीके से निर्माण किया जा रहा है। लेकिन नगरपालिका के जिम्मेदारों की उदासीनता से गौरवपथ निर्माण में लापरवाही चरम पर है। नगरपालिका के ही कुछ जानकारों ने बताया कि गौरवपथ का नए सिरे से निर्माण के लिए गड्ढा खोदने के बाद सबसे पहले डस्ट की परत बिछाई जानी थी, लेकिन नगरपालिका के संरक्षण में ठेकेदार ने अपनी कमाई को देखते हुए डस्ट की जगह मिट्टी की परत बिछा दी। इसमें भी जो मिट्टी उपयोग में लाई गई है उसकी गुणवत्ता की जांच भी नहीं हुई है। जबकि बेस के लिए गड्ढे में डंप मिट्टी की गुणवत्ता का सबसे पहले परीक्षण होना अनिवार्य था। लेकिन निर्माण में गुणवत्ता देखने वाले नगरपालिका के इंजीनियर घृतराष्ट्र बने बैठे हैं। यही वजह है कि ठेकेदार की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी तरह बेस के लिए मिट्टी के बाद गिट्टी का उपयोग किया गया, लेकिन उस गिट्टी की गुणवत्ता को भी देखने वाला कोई नहीं है। शायद इसी गैरजिम्मेदारी के लिए सरकार नपा के इंजीनियरों को तनख्वाह देती है। आपकों बता दें कि नगरपालिका के इंजीनियर हमेशा से इन्हीं निकम्मेपन के लिए विवादों में रहे हैं। इनकी लापरवाही से करोड़ों का निर्माण मनमाने तरीके से हो गया। जबकि करोड़ों का सड़क व तालाब का निर्माण भी लापरवाहीपूर्वक किया जा रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि ठेकेदार ने इस कार्य को 27 फीसी बिलो में लिया है, जिसके चलते ठेेकेदार जैसे तैसे काम कर रहा है।ं ऐसे में सवाल उठता है कि जब ठेकेदार को यह कार्य घाटे का सौदा लगा तो उसे 27 फीसदी बिलो में काम करने के लिए किसने बाध्य किया था।
भारी वाहनों पर लगेगी लगाम
आपकों बता दें कि गौरवपथ चांपा शहर के लिए काफी अहम है। गौरवपथ के किनारे ही एनकेएच हॉस्पिटल, गार्डन, पीएचई, नगरपालिका कार्यालय और बस स्टैंड है तो वहीं इसी मार्ग से होते हुए लोग कॉलेज के अलावा कुरदा व राजस्व कार्यालय की ओर आवागमन करते हैं, लेकिन निर्माण के नाम पर जिस तरह पूरे गौरवपथ को एक तरफ से खोद दिया गया है उससे यह सड़क वन-वे हो गया है। उपर से भारी वाहनों को फिर से गौरवपथ पर एंट्री दे दिया गया है, जिससे दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों को आवागमन में बेहद परेशानी हो रही है। जबकि गौरवपथ की दुर्दशा करने में इन्हीं भारी वाहनों की अहम भूमिका है। जिस तरह बिर्रा फाटक को बंद कर ओवरब्रिज के काम में गति लाने का दावा किया गया था और इसी ध्येय से भारी वाहनों को गौरवपथ से होकर गुजारा गया। उससे ओवरब्रिज के काम में करीब साल भर बाद भी गति नहीं आई, लेकिन चमचमाती गौरवपथ का सत्यानाश अवश्य हो गया। इसके बावजूद शहर के किसी भी नेता ने ओवरब्रिज के काम को जल्द पूरा कराने कोई पहल नहीं की तो वहीं प्रशासन भी मुकदर्शक बनकर तमाशा देखता रहा। आज नगरपालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने एसपी पारूल माथुर से मोबाइल के जरिए बात करते हुए गौरवपथ से भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की। इस पर उन्हें एसपी ने सकारात्मक आश्वासन दिया है।