Jagdalpur : अधिकारियों के टीप पत्र में भी संशय, शुभ-लाभ की आ रही गंध

Jagdalpur : अधिकारियों के टीप पत्र में भी संशय, शुभ-लाभ की आ रही गंध

जगदलपुर/नवप्रदेश। तरणताल के बाजू स्थित चौपाटी की 16 नग गुमटियों का असंवैधानिक सञ्चालन किये जाने का मामला अब तूल पकडऩे लगा है। नवप्रदेश द्वारा प्रमुखता से इस ख़बर का प्रकाशन किया जा रहा है जिसके बाद से ही निगम और चौपाटी के आसपास चर्चाओं का बाजार गर्म है। यही नहीं, दुकान संचालकों में भी खलबली मची हुई है।

आरटीआई से प्राप्त जानकारी इस बात को चीख-चीखकर बयाँ कर रही है कि तत्कालीन समय में पूर्व आयुक्त के मौखिक आदेश पर ही इन संचालकों ने मांस विक्रय का धंधा शुरू कर दिया था जो कि अपने आप में ही संशय की स्थिति निर्मित कर रहा है और नियमों की धज्जियां उड़ाते ये संचालक अपनी मनमानी कर रहे (Jagdalpur) हैं।

विगत 24 दिसंबर 2020 को जारी निगम के टीप पत्र की माने तो पूर्व आयुक्त द्वारा मौखिक तौर पर इन्हें 9 सितंबर 2019 को मांसाहारी विक्रय किये जाने की अनुमति दी थी, इस बात का उल्लेख संचालकों ने अपने बयान में किया है।

जबकि, शासकीय विभाग में मौखिक कथन का कोई मोल या औचित्य नहीं होता है. इन संचालकों को मांसाहार विक्रय हेतु आज पर्यंत तक कोई भी लिखित आदेश नहीं दिया गया है. ताज्जुब की बात तो यह है कि पूर्व आयुक्त द्वारा दिए गए मौखिक आदेश को भी तत्कालीन अधिकारियों ने पत्थर की लकीर मानते हुए टीप पत्र में हस्ताक्षर कर दिए थे. वर्तमान स्थिति यह है कि कुछ संचालकों ने भागीदारी का हवाला देते हुए भी दुकानों को किराये पर चढ़ा रखा (Jagdalpur) है।

यहां यह कहना लाजमी है कि निश्चित ही तत्कालीन समय में शुभ-लाभ की स्थिति निर्मित हुई होगी जिसके चलते निगम के अधिकारियों ने भी आँख बंद कर संचालकों द्वारा दिए बयान और नियमों की बगैर निष्पक्ष जांच इन्हें हरी झंडी दे दी थी।

एक ही बयान से संशय : संचालकों के बयान को बारीकी से अवलोकन करने पर यह स्पष्ट हो रहा है कि निगम के ही तत्कालीन किसी कर्मी द्वारा इन बयानों में समरूपता लाते हुए मामले में मिठाई खायी थी या शुभ-लाभ किया था जिसके, फलस्वरूप इन संचालकों के हौसले बुलंद हो गए और शासकीय नियमों को ही तोड़-मरोड़ कर रख (Jagdalpur) दिया.

पूर्व आयुक्त के मौखिक आदेश का हवाला देते यह संचालक नियमों के पालन करने की भी झूठी बयानबाजी लिखित में देते रहे लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे तत्कालीन अधिकारियों ने इस पर कोई भी कड़ी कार्यवाई नहीं की और मामला निगम के अलमारी के किसी कोने में धुल में तकऱीबन नौ वर्षों से सना पड़ा रहा.

सप्ताह वसूली और बंदरबांट में व्यस्त : वार्ड पार्षद और नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे ने कहा है कि निगम की कांग्रेस सरकार ने पूरे शहर को मांस और मांसाहार विक्रय का केंद्र बना दिया। तत्कालीन समय में भाजपा की सरकार थी और सामान्य सभा में कांग्रेसी पार्षदों ने भी एक मत होकर इस बात पर अनुमति दी थी कि उक्त चौपाटी क्षेत्र को मांसाहार से दूर रखा जायेगा और केवल शाकाहारी ही विक्रय किया जायेगा ताकि जनता को अच्छा माहौल दिया जा सके।

तत्कालीन महापौर जतिन जायसवाल, वर्तमान महापौर सफि रा साहू और अध्यक्ष कविता साहू ने मांसाहार को बढ़ावा देते हुए चौपाटी की रौनक को खत्म कर दिया। शिकायत पर कोई कार्यवाई नहीं होती है, ये लोग सप्ताह वसूली कर कमीशन का बंदरबांट कर रहे हैं।

नियमों को दरकिनार कर अपनी मर्जी से कार्य करने में लगे हैं महापौर और अध्यक्ष। उक्त दुकानें स्वावलंबन योजना के तहत है, किराये पर देना भी गैरकानूनी है। अनुबंध निरस्तीकरण की कार्यवाई कर नयी आबंटन प्रक्रिया की जानी चाहिए।

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