ISRO's Next Plan : चंद्रयान के बाद 'गगनयान' फिर आदित्य एल -01 मिशन

ISRO’s Next Plan : चंद्रयान के बाद ‘गगनयान’ फिर आदित्य एल -01 मिशन

ISRO's Next Plan

ISRO's Next Plan

0 ISRO ने बनाया आगे का स्पेस प्लान, चांद के बाद अब सूरज की बारी, 20 दिन तक स्पेस में रह सकेंगे अंतरिक्ष यात्री

नवप्रदेश डेस्क। ISRO’s Next Plan : धरती से लेकर अंतरिक्ष तक देश का गौरव बढ़ने के पश्चात् अब ISRO ने भविष्य की भी योजना बना लिया है। चंद्रयान के बाद ‘गगनयान’ फिर आदित्य एल -01 मिशन होगा।

ISRO द्वारा चांद के बाद अब सूरज की पड़ताल करने वाला मिशन तैयार किया जा रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष मिशन प्लानिंग के तहत 20 दिन तक स्पेस में रह सकेंगे अंतरिक्ष यात्रीचंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद पर कदम रख चुका है।

चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। चांद पर पहुंचने के बाद अब सूरज की बारी है।

ISRO's Next Plan :
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इसके लिए भी ISRO के वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है। सितंबर में सूरज तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है।

अंतरिक्ष और आसमान को एक्सप्लोर करने का ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। इसके बाद NISAR और SPADEX जैसे दो और ताकतवर अंतरिक्ष मिशन लॉन्च होंगे।

इसरो का मानवरहित फिर रोबोटिक ‘गगनयान’ मिशन

ISRO अपने पहले ह्यूमन स्पेस-फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के तहत साल के आखिरी में दो आरंभिक अंतरिक्ष मिशन भेजेगा। इसमें एक मिशन पूरी तरह से मानवरहित होगा। दूसरे मिशन में ‘व्योममित्र’ नाम की एक महिला रोबोट भेजी जाएगी।

आरंभिक मिशन का मकसद यह सुनिश्चत करना है कि गगनयान रॉकेट जिस मार्ग से जाए उसी मार्ग से सुरक्षित भी लौटे। यानी इनके कामयाब होने के बाद ही 2024 में इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

तीसरे मिशन की स्पेस फ्लाइट में दो इंसानों को भेजा जा सकेगा। ये लोग 7 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलट्स को रूस भेजकर स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग भी दी गई है।

आदित्य एल -01 पर भी आखिरी रिव्यू

0 सूर्य की निगरानी के लिए भेजे जा रहे इस उपग्रह के सभी पेलोड (उपकरणों) का परीक्षण पूरा कर लिया गया है। जल्द ही इसका आखिरी रिव्यू होगा। सब कुछ ठीक रहा तो सितंबर के शुरुआती हफ्ते में इसे स्पेस में भेजा जा सकता है।

0 आदित्य L-1 से सोलर कोरोनल इजेक्शन यानी सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से निकलने वाली लपटों का एनालिसिस किया जाएगा। ये लपटें हमारे कम्युनिकेशन नेटवर्क व पृथ्वी पर होने वाली इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं।

0 सूर्य को जानने के लिए दुनियाभर से अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल मिलाकर 22 मिशन भेजे हैं। सबसे ज्यादा मिशन अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने भेजे हैं।

0 NASA ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 साल 1960 में भेजा था। जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में NASA के साथ मिलकर भेजा था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना पहला मिशन NASA के साथ मिलकर 1994 में भेजा था।

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