Indian Army : सेना के शौर्य पर सियासत क्यों?

Indian Army
Indian Army : भारतीय सेना के जवानों ने अरूणाचल प्रदेश के तवांग मेंं चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया। इस झड़प में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की जमकर कुटाई की और उन्हे वहां से खदेड़ दिया। इस घटना को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने सियासत ्रशुरू कर दी है जो कतई उचित नहीं है। सरकार के बहाने ये विपक्षी नेता सेना पर ही निशाना साध रहे है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस बारे में विवादास्पद बयान दिया है कि चीनी सेना भारतीय जवानों को पीट रही है और हमारे जवानों को पलटवार करने की इजाजत नहीं है।
इसी तरह असदुद्ीन ओवैसी और अन्य नेताओं ने भी आपत्तिजनक बयानबाजी की है। ये विपक्षी नेता यह भूल गए है कि भारतीय सेना हाथ अब् बंधे हुए नहीं है। उन्हे सीमा पर दुश्मनों से अपने स्तर पर निपटने की खुली छूट दी गई है। भारत और चीन के बीच सीज फायर लागू है जिसके चलते विवाद की स्थिति में भी दोनों ही सेना एक दूसरे पर गोली नहीं चलाती लेकिन झड़प होने पर एक दूसरे के खिलाफ बल प्रयोग जरूर करती है। लाठी डंडे से और लात मुक्के से भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों की पहले भी कई बार पिटाई की है।
चाहे डोकलाम हो या गलवान या फिर तवांग हर जगह भारतीय शेर चीनी सैनिकों पर भारी पड़े है। यह अलग बात है कि ऐसी झड़प में कुछ भारतीय सैनिक भी घायल हुए है लेकिन उन्होने बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की हड्डी पसली एक कर के अपने शौर्य का प्रदर्शन किया है। भारतीय सेना के शौर्य पर प्रश्र चिन्ह लगाना शर्मनाक बात है। इससे विपक्षी नेताओं को परहेज करना चाहिए और सेना के शौर्य पर सियासत नहीं करनी चाहिए। भारतीय सेना परिस्थिति के अनुसार दुश्मनों से निपटने में सक्षम है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राईक और एयर स्ट्राईक कर के पहले ही यह साबित कर दिया है कि उसके हाथ खुले हुए है। इसी तरह चीन भी अकसर भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करता रहा है और हर बार भारतीय सेना ने उसके इन प्रयासों को विफल किया है।
इसलिए विपक्षी पार्टियों के नेताओं को देश की सुरक्षा से जुड़े सवालों पर संयम बरतना चाहिए और ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे भारतीय सेना का हौसला कमजोर हो। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय सेना को लेकर विपक्ष सियासत करने से बाज आएंगे। झड़प तवांग में नौ तारीख को हुई, तकऱीबन 300 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ करने की कोशिश की. हमेशा की तरह भारतीय फ़ौज ने जमकर मुकाबला करते हुए तमाम चीनियों को खदेड़ दिया जिसके परिणामस्वरूप जहां भारत के छह सैनिकों को चोटें आई वहीं तकऱीबन बीस चीनी सैनिक घायल हुए।
माननीय रक्षा मंत्री ने 12 तारीख को संसद में बयान देते हुए स्पष्ट किया कि हमारा कोई सैनिक न तो हताहत हुआ है और न ही घायलों में से किसी की चोटें गंभीर हैं। यथास्थिति बरकऱार हो गई है, मामले पर सामरिक और कूटनीतिक स्तर पर यथोचित बातें भी हुई हैं. विपक्ष के सवालों में से एक महत्वपूर्ण सवाल है सरकार ने तीन दिन तक कोई बयान क्यों नहीं दिया ? सवाल ही बेमानी है चूंकि संसद की तो शनिवार और रविवार को छुट्टी थी, घटना शुक्रवार की थी और सरकार ने मंगलवार को बयान दे दिया। देरी उचित है, अंतत: इतना समय तो सेना के साथ विचार विमर्श में ही न गया होगा।