प्रसंगवश : अब सीएम की युवाओं से भेंट-मुलाकात के मायने

प्रसंगवश : अब सीएम की युवाओं से भेंट-मुलाकात के मायने

Incidentally: Now the meaning of CM's meeting with the youth: Yashwant Dhote,

cm bhupesh baghel

नवप्रदेश/यशवंत धोटे

आज से एक साल पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात को मिले व्यापक जनसमर्थन के बाद अब इसे युवाओं के बीच ले जाया जा रहा है। हालांकि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने पहले भी इस भेंट-मुलाकात की आलोचना की थी और अब भी प्रस्तावित युवा भेंट-मुलाकात (CM’s meeting with the youth) की आलोचना कर रही है।

लेकिन इससे इतर धरातल पर यदि देखें तो लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुई इस भेंट-मुलाकात का कांग्रेस की सत्ता और संगठन को बेहतर प्रतिसाद कुछ यूं मिला कि भाजपा और संघ के सर्वे में भी कांग्रेस ही जीतती दिख रही है। हालांकि कांग्रेस का अपना आन्तरिक सर्वे भी हैं लेकिन कर्नाटक चुनाव के बाद हर चुनाव की तैयारी मेंं फूंक-फूंक कर पांव रख रहा कांग्रेस आलाकमान हवाई सर्वे पर भरोसा नहीं कर रहा है।

यही वजह है कि अब सत्ता व संगठन किसी न किसी रूप में सीधे जनता के बीच जा रहा है और युवाओं से सीएम की सीधी भेेंट-मुलाकात इसी कार्यक्रम का एक हिस्सा है। गौरतलब है कि भेंट-मुलाकात के दरम्यान सरकार को मिले फीडबैक के बाद किसानों, मजदूरों, युवाओं से जुड़े मसलों पर काम किया गया। जैसे की राज्य भर में फैले मितान क्लबों के माध्यम से युवाओं की जरूरतों पर सर्वे किया गया।

उसी के आधार पर कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल बेरोजगारी भत्तेे वाले मुदद्े को सुलझाया गया। वर्तमान में राज्य में पात्र युवा बेरोजगारों को भत्ता मिलना शुरू हो गया है। ठीक उसी तरह राज्य भर में हो रही सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया में तेजी आई हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में फीस माफी के साथ ही रोजगार मिशन का संचालन किया जा रहा है। राज्य की कुल आबादी का युवा 68 फीसदी है जिसकी संख्या लगभग 44 लाख बैठती है।

यहा यह बताना जरूरी है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से 10 फीसदी वोट ज्यादा मिले थे और सीट थी 67। वैसे हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा में उमड़े जन सैलाब को यह उम्मीद तो थी कि प्रधानमंत्री राज्य की युवा आबादी के लिए कुछ घोषणा कर जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया फिर भी राज्य को प्रधानमंत्री से अब भी उम्मीद है।

बहरहाल दोनों प्रमुखराजनीतिक दलों की चुनावी तैयारियों को यदि देखें तो कोई किसी से कम नहीं है, लेकिन अब तक कांग्रेस की वापसी की उम्मीद बीजेपी से ज्यादा दिख रही है। और यही उम्मीद भाजपा को परेशान कर रही।

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