विधानसभा के बजट सत्र में अध्यक्षीय आसंदी समेत नेता सदन एवं प्रतिपक्ष में संसदीय लोकतंत्र के लंबे राजनीतिक अनुभव का दिखा नजारा

विधानसभा के बजट सत्र में अध्यक्षीय आसंदी समेत नेता सदन एवं प्रतिपक्ष में संसदीय लोकतंत्र के लंबे राजनीतिक अनुभव का दिखा नजारा

The long political experience of parliamentary democracy of the ruling party and the opposition, including the presidential seat, was visible in the budget session of the Chhattisgarh Assembly.

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यशवंत धोटे
रायपुर/नवप्रदेश। cg vidhansabha: छत्तीसगढ़ की षष्ठम विधानसभा का बजट सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। 5 फरवरी 2024 को शुरू होकर आज 28 फरवरी को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हुए विधानसभा के इस बजट सत्र में कुल 16 बैठके हुई। 2694 प्रश्न प्राप्त हुए जिस पर 103 घन्टे 13 मिनट की चर्चा हुई। 411 ध्यानाकर्षण सूचनाए प्राप्त हुई जिसके विभागीय जवाब सदन के पटल पर रखे गए। आज अन्तिम दिन भी 106 ध्यानाकर्षण सूचनाए लगी जो विधानसभा के इतिहास में एक रिकार्ड है। कुंभकल्प समेत पांच संशोधन विधेयक पारित हुए। धर्मान्तरण से संबधित संशोधन विधेयक को इस सत्र में नही लाया जा सका क्योकि उसकी तैयारी पूरी नही थी।

नई सरकार के पहले बजट सत्र में पक्ष और विपक्ष की भागीदारी ने एक नया आयाम गढ़ा। इस पूरे सत्र में स्वास्थगत कारणों के बावजूद विधानसभाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के संसदीय लोकतंत्र में सबसे लम्बे राजनीतिक अनुभव की छाप पूरे सत्र भर दिखी। नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष का व्यवहार सदन में इस बार वैचारिक रूप से काफी समृद्ध रहा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एंव नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत का लम्बा राजनीतिक अनुभव इस बार सदन कार्रवाई को दौरान देखने को मिला। नेता सदन चार बार के सांसद पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे है।

वही नेता प्रतिपक्ष विधायक, सांसद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री के अलावा पिछली विधानसभा में अध्यक्ष भी रहे है। अध्यक्षीय आसन्दी को सुशोभित करते डॉ. रमन सिंह भी विधायक सांसद पूर्व केन्द्रीय मंत्री 15 साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे है। इसी सदन में दो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी है और डा़ चरणदास महन्त भी। सबसे लम्बे समय से विधानसभा का चुनाव जीत रहे मंत्री बृजमोहल अग्रवाल भी है तो आईएएस की नौकरी छोड़कर पहली बार विधायक और मंत्री बने ओपी चौधरी भी । इस लिहाज से यदि देखा जाय तो अब तक विधानसभा के इतिहास में राजनीतिक अनुभवों से लेस यह समद्ध सदन है।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 15 फरवरी को सदन में बस्तर के गावों के लिए नियद नेल्लार नाम की योजना की घोषणा कर आदिवासियों के गांवो को सुन्दर बनाने का संकल्प लिया। सदन में पहली बार ऐसा हुआ कि विधानसभा में प्रश्न उठाने वाले सदस्य के प्रश्न पर विभागीय मंत्री ने उसी सदस्य की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच की घोषणा कर दी । यह प्रश्न राज्य में पीडीएस की दुकानों में होने वाली चावल की हेराफेरी को लेेकर था जिसे सदस्य धरमलाल कौशिक ने उठाया था इस पर चर्चा के बाद अध्यक्षीय आसन्दी के हस्तक्षेप से मंत्री दयालदास बघेल ने प्रश्नकर्ता सदस्य की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जंाच की घोषणा कर दी।

कमोबेश इसी तरह रेत उत्खनन को लेकर उठे प्रश्न के जवाब देने के बाद वित्तमंत्री ओपी चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री आवास के लिए बनने वाले मकानों के लिए रेत नि:शुल्क देने की घोषणा भी इसी सदन में की गई। अध्यक्षीय आसन्दी का संचालन ड़ॉ रमनंिसह ने बहुत की सुन्दर व सधे हुए ढंग से किया। पक्ष से ज्यादा विपक्ष को न केवल समय दिया बल्कि पहली बार सवाल करने वाली कांग्रेस की महिला विधायक चातुरी नंद की खूब तारीफ की। वही कुछ पुराने सदस्यों द्वारा सवालो को घुमा फिराकर पूछने पर अध्यक्षीय आसन्दी ने नसीहत भी दी।

इसी तरह पहली बार सवाल करने वाले पक्ष विपक्ष के सदस्यों का अध्यक्षीय आसन्दी ने जबरदस्त उत्साह वर्धन किया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपनी सधी हुई भाषा में न केवल अपनी सरकार की योजनाओं की गारन्टी का जिक्र किया बल्कि अनुदान मांगो पर दिए जाने वाले जवाब में विपक्ष को आईना भी दिखा दिया कि यदि नेता प्रतिपक्ष अपने बगल वालों को यही उपदेश देते तो सत्ता से बाहर नही होते। पर उपदेश कुशल बहुतेरे के स्लोगन के साथ मुख्यमंत्री ने अपने स्वभाव के विपरित नौकरशाही को भी सन्देश दे दिया कि गुमराह करने वाला काम नही चलेगा।

इस बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका बड़ी ही प्रभावी रही । वन्य पशुओं को लेकर हुए सवाल में वन मंत्री केदार कश्यप का घिर जाना या फिर कबीर साहिेत्य के प्रकाशन को लेकर शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का सदन में निरूत्तर हो जाना नेताप्रतिपक्ष के लम्बे संसदीय लोकतंत्र के अनुभव को दर्शा रहा था । दरअसल इस नए और पुराने विधायको को मिलाकर बना मंत्रीमंडल सदन में सवालो के जबाव दे रहा था। जितने सवाल विपक्ष के थे कमोबेश उतने ही सत्ता पक्ष के विधायकों के सवाल भी लगे थे।

इन सभी घटनाक्रमों के साथ दैनिक नवप्रदेश समाचार पत्र समूह ने भी संसदीय लोकतंत्र के प्रति अहम भूमिका निभाई। सदन की सभी बैठको से पूर्व होने वाली प्रश्नकाल की कार्रवाई को नवप्रदेश डॉट कॉम पर लाईव दिखाया। जिससे देश और प्रदेश भर दूर-दराज के लोगों ने छत्तीसगढ़ विधासनभा की प्रश्नकाल की कार्रवाई को लाइव देखा।

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