भूपेश काल में कैसे हुआ था सीजीएमएससी घोटाला : आरोपी ने उगले कई राज
रायपुर। (EOW special court to Shashank Chopra) शशांक चोपड़ा को ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट ने छह दिन की रिमांड पर भेजा रायपुर। 660 करोड़ रुपए के सीजीएमएससीघोटाले में आरोपी मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट ने छह दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। इसके पहले सात दिन की रिमांड खत्म होने पर शशांक चोपड़ा को ईओडब्ल्यू न्यायालय की विशेष न्यायधीश निधी शर्मा तिवारी के कोर्ट में पेश किया गया था। ईओडब्ल्यू के वकील ने शशांक चोपड़ा से पूछताछ में कई तथ्यों के सामने आने की बात कहते हुए तथ्यों की जांच के लिए अतिरिक्त रिमांड मांगी थी। इस पर न्यायाधीश ने शशांक की छह दिनों की पुलिस रिमांड मंजूर की। अब आरोपी शशांक चोपड़ा 10 फरवरी तक ईओडब्ल्यू की रिमांड पर रहेगा।
भूपेश बघेल के मुख्यमंत्रित्व काल में किस तरह से छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष खाली करने का भांड़ा ‘ऑडिट ऑब्जर्वेशन रिपोर्टÓसे फूटा था. इस रिपोर्ट के आधार पर भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने 660 करोड़ रुपए के घपले पर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था।
दो साल के ऑडिट में खुली थी सिस्टम की पोल
लेखा विभाग की टीम ने सीजीएमएससी के वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला तो पाया कि बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपए की खरीदी की गई है. आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम-कानून को भी दरकिनार किया गया. जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं थी, वहां भी सप्लाई कर दी गई थी।
बिना जरूरत स्वास्थ्य केंद्र में सप्लाई
प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रीएजेंट और उपकरणों की सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी। ऑडिट टीम के अनुसार, डीएचएस ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था।
अधिकारियों के खिलाफ भी मामला
ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है. यही नहीं एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है. ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई।