हीरो मैजिस्टिक वाली अन्नु दीदी अब राज्य की पूर्ण कालिक राज्यपाल

हीरो मैजिस्टिक वाली अन्नु दीदी अब राज्य की पूर्ण कालिक राज्यपाल

hero Magician Vi Annu Didi is now the full time governor of the state

Anusuiya Uikey

यशवंत धोटे
रायपुर । पढऩे या सुनने में भले ही अजीब लगे। लेकिन यह शास्वत सत्य है कि फर्श से अर्श तक सफर तय करने वाली अन्नु दीदी यानि अनुसूइया उइके Anusuiya Uikey 19 साल पुराने छत्तीसगढ़ राज्य की पूर्ण कालिक राज्यपाल के रूप में आज शपथ लेने जा रही है।

अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार राजभवन प्रशासन को शपथ ग्रहण की तैयारी में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। मसलन सामान्य प्रशासन विभाग 500 से अधिक निमंत्रण पत्र वितरित करता था तब राज भवन उसके 60 फीसदी ही तैयारी रखता था क्योंकि आमतौर पर राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में कम लोग ही आते थे। लेकिन आज शाम चार बजे होने वाले शपथ ग्रहण समारोह का नजारा बदला हुआ होगा।

शत प्रतिशत उपस्थित को लेकर अशोक हाल के बाहर वाले परिसर में पंडाल लगाकर 500 से अधिक लोगों के बैठने व हाई-टी का इंतजाम किया गया है। पंडाल में एलईडी और अन्य व्यवस्थाए की गई है। भवन प्रशासन का मानना है कि इस बार शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थिति का रिकार्ड टूट सकता है। वह इसलिए कि छत्तीसगढ़ में पहली बार लब्ध प्रतिष्ठित किसी आदिवासी महिला की राज्यपाल के रूप में ताजपोशी हो रही है।छत्तीसगढ़ राज्य की 34 फीसदी आदिवासी आबादी के लिए भी यह गौरव का क्षण होगा। इससे पूर्व राज्य में अधिकांश समय तक नौकरशाह ही राज्यपाल रहे है।

फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाली अनुसूइया उइके Anusuiya Uikey 1980 के दशक में छिंदवाड़ा में हीरो मैजिस्टिक वाली दीदी के नाम से चर्चित रही। छिंदवाड़ा से 12 किलो मीटर कॉलेज था उस कॉलेज में लड़कियों को लाने ले जाने के लिए बस की व्यवस्था करना भी अन्नु दीदी का ही काम था।

लोक महत्व के इस काम से चर्चित हुई अन्नु दीदी की समाजसेवा की धमक अब के मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और तब के छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ तक पहुंची और उन्हें दमुआ विधानसभा से कांग्रेस की टिकट दी। 80 से 85 वे विधायक रही और अर्जुन सिंह के मंत्रीमंडल में मंत्री भी। 1991 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में सदस्यता ली। राज्यपाल बनने से पहले वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष थी।

कैंपस में मशहूर हुईं तो छात्रों की नेता हो गयीं। कैंपस के कई चुनाव जीते। किसी आदिवासी महिला का छिंदवाड़ा में यूँ लोकप्रिय हो जाना मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमन्त्री कमलनाथ को अच्छा लगा। उन्होंने तब उनसे पूछा चुनाव लडोगी? कांग्रेस से विधानसभा का टिकट मिला और छबीस साल की नौजवान अनुसुइया उइके देखते ही देखते विधायक बन गई। मंत्री बनी। यहीं से शुरू हुआ राजनीतिक सफर। तब तक एमए, एलएलबी जैसी उच्च शिक्षा भी ग्रहण कर चुकी थी। स्थानीय तमिया कॉलेज में व्याख्याता भी रहीं।

इनका राजनीतिक कौशल अर्जुन सिंह जैसे पुरोधा ने तब परखा जब वे खरसीया (अब छत्तीसगढ़ में) से चुनाव लड़ रहे थे। सामने थे भाजपा के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जुदेव। चुनाव का संचालन अनुसुइया उइके संभाल रही थी। संयुक्त मध्यप्रदेश के तब मुख्यमंत्री थे भाजपा के कद्दावर नेता सुंदर लाल पटवा। पटवा ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए महिलाओं पे कुछ टीका-टिप्पणी कर दी उस टिप्पणी को अनुसुइया जी ने ऐसा राजनीतिक जामा पहनाया कि तीन दिनों में ही जीत रहे भाजपा के जुदेव डिफेंसिव हो गए।

माहौल बदला और अर्जुन सिंह चुनाव जीत गए। उस चुनाव में जीत का श्रेय अर्जुन सिंह ने अनुसुइया जी को दिया था। इतना ही नहीं आईएएस की नौकरी छोड़कर जब अजीत जोगी ने कांग्रेस का दामन थामा और पहली बार राज्यसभा के लिये चुने गये तब भी अनुसइया उइके ही थीं जिन्होंने श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल जैसे बड़े नेताओं के विरोध को दरकिनार करते हुए जोगी की प्रस्तावक बनीं थीं। कालांतर में जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।

1991 में किसी कारण अनुसईया जी ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन पकडा। तब से लगातार समाज सेवा में लगी रहीं। नरेंद्र मोदी की नज़र 1993 में इनके कामों पर तब पहली बार पड़ी जब वे मध्यप्रदेश के प्रभारी थे। डॉ रमन सिंह, अजय विश्नोई, नरेंद्र तोमर और अनुसुइया उइके प्रदेश संगठन में मंत्री थे। तब शिवराज सिंह चौहान प्रदेश महामंत्री थे। शिवराज जब मुख्यमन्त्री बने तो अनुसुइया जी को स्टेट एसटी कमीशन का अध्यक्ष बनाया। वाजपेयी सरकार जब केंद्र में बनी तो इन्हे राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य की जिम्मेदारी मिली।

मोदी सरकार दिल्ली पे काबिज हुई तो इन्हे राज्यसभा का सांसद बनाया गया। बतौर सांसद कार्यकाल पूरा हुआ तो जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष बना दी गई। वहाँ उन्होंने जमकर काम किया। आयोग से इस्तीफा देने वाले दिन तक केस निपटाती रहीं। झारखंड के रामगढ़ में टाटा के एक प्रोजेक्ट में चार आदिवासी परिवार बेघर हो रहे थे। सुनवाई के दौरान टाटा कंपनी को आदेश दिया की सभी चार परिवार को पचीस पचीस लाख रुपया मुआवजा दो। कंपनी मान गयी।

पिछले शुक्रवार को ही एक और केस था हिमांशु कुमार का। दिल्ली विश्विद्यालय से MTech कर रहे इस आदिवासी छात्र की शिकायत थी कि उसने अच्छी परीक्षा दी है लेकिन उसे फेल किया गया उसके कॉपी का पुनर्मुल्यांकन हो! केस की सुनवाई में एसटी आयोग में उपस्थित दिल्ली विश्विद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि टेक्निकल पढाई की परीक्षा में पुनर्मुलायंकन की नीति नहीं। आयोग के उपाध्यक्ष के नाते अनुसुइया जी ने इसे विशेष केस मानते हुए आदेश दिया कि पुनर्मुल्यांकन किया जाए। हिमांशु की खुशी का ठिकाना नहीं था। शोषित, वंचित समाज के बीच बेहद प्रसिद्ध अनु दीदी  सोमवार को छत्तीसगढ़ की प्रथम आदिवासी महिला राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगी।

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