Freedom of Expression : ये कैसी अभिव्यक्ति की आजादी…
Freedom of Expression : हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी नारे लगना भी आम बात हो गई है। देश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थानों में से एक जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी में छह दिसम्बर को एक बार फिर छात्रों के एक गुट ने विवादास्पद नारेबाजी की। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी के भीतर एक मार्च निकाला और अयोध्या में फिर से बावरी मस्जिद बनाने के पक्ष में जमकर नारेबाजी की।
यह वही जेएमयू है जहां कभी भारत तेरे टुकड़ें टुकड़ें होंगे इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह के नारे लगे थे और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को अपमानित किया गया था। इसके अलावा भी जेएनयू में समय समय पर अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) के नाम पर देश विरोधी गतिविधियां संचालित होती रही है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के पक्ष में फैसला दे दिया है उसके बाद भी जेएनयू में बावरी मस्जिद के समर्थन में नारे लगना सुप्रीम कोर्ट की भी अवमानना है।
इसे स्वयं सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान में लेना चाहिए और इस तरह की विवादास्पद नारेबाजी करने वाले टुकड़े टुकड़े गैंग के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के लिए सरकार को निर्देश देने चाहिए ताकि अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) का कुछ सिरफिरे लोग नाजायज फायदा उठाने की जुरर्रत न करेे। वैसे भी हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी का कुछ अराजक तत्व अनुचित लाभ उठाते रहे है और देश के सांप्रदायिक सद्भावना के माहौल को खराब करने की कोशिश करते रहे है।
अभी उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने जा रहे है इसी वजह से सांप्रदायिकता का जहर फैलाकर नोटों का धु्रवीकरण करने की कोशिश की जा रही है जिसपर लगाम लगनी चाहिए। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भी एक समाजवादी पार्टी के सांसद ने बावरी को लेकर हाल ही में विवादास्पद बयान दिया था। असउद्दीन ओवैसी भी बावरी मस्जिद को लेकर बयानबाजी कर चुके है। इस तरह की बयानबाजी जिससे माहौल खराब हो उसपर रोक लगनी जरूरी है।