बातों…बातों में…! सुकांत राजूपत की कलम से.. वन, औषधीय, मंत्री…
चार दिन पहले (four days ago) वन औषधीय बोर्ड (Forest medicinal board) में पदभार कार्यक्रम (Office program) था। मौका था नए अध्यक्ष मल्लू पाठक की ज्वाइनिंग का। बोर्ड वन विभाग के दायरे में है, नए अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री के सबसे खास और तुर्रा यह कि वनमंत्री इस पूरे कार्यक्रम से दूर रहे। एक तरफ वन मंत्री अकबर की कुर्सी खाली थी और दूसरी तरफ बोर्ड के नए अध्यक्ष को पूरा सरगुजा पदग्रहण कराने पहुंचा था।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव, स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, खेलसाय सिंह और अग्रवाल-जायसवाल मोर्चा सम्हाले हुए थे। वन मंत्री के अलावा एक और भी कार्यक्रम से नदारद रहे वो थे वनऔषधिय बोर्ड के उपाध्यक्ष बस्तर टाईगर के पुत्र। वन मंत्री नहीं आए तो पीसीसीएफ भी मुंह दिखाई की रस्म अदा कर बीच कार्यक्रम से ही चलते बनें। बताते हैं बस्तर के एक सेवानिवृत वन अधिकारी ही कार्यक्रम का इंतजाम करते दिखे।
पैलेस के परशुराम…
वनऔषधीय बोर्ड अध्यक्ष की तारीफों में जो कसीदें कसे गए वो भी अपने आप मे काबिल-ऐ-गौर करने लायक हैं। दरअसल सरगुजा में बोर्ड अध्यक्ष का अच्छा-खासा दबदबा है। पैलेस के सबसे विश्वासपात्र भी हैं तो उनकी धमक अब राजधानी रायपुर में भी पहुंच गई है।
पदग्रहण समारोह में सरगुजा महाराज और सूबे के तंदरुस्ती मंत्री अध्यक्ष मल्लू पाठक की तारीफ में चंद अलफाज कहे। भावुक होते हुए कहा आज महारानी साहिबा होतीं तो बहुत खुश होतीं। पैलेस से मल्लू पाठक का बहुत पुराना रिश्ता बताते हुए भावावेग में वनऔषधीय बोर्ड अध्यक्ष को पैलेस और सरगुजा का परशुराम कह गए।
वहां मौजूद लोगों में सरगुजा के तो उन्हें जानते हैं पर कई गैर सरगुजिया और चंद पत्रकार परशुराम कहे जाने पर चौंक गए। क्योंकि बोर्ड अध्यक्ष ब्राह्मण तो हैं पर परशुराम ने तो क्षत्रियों का संहार किया था फिर पैलेस के परशुराम कैसे हो सकते हैं।
एलोपैथी रुसुआ हुई…
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव वनऔषधीय को ज्यादा कारगर बताकर एक तरह से एलोपैथी को रुसुआ कर गए हैं। कार्यक्रम में बातों ही बातों में उन्हों ने एक तरह से आयुर्वेद और वनऔषधीय को एलोपैथी से बेहतर करार देते हुए कहा कोरोना संक्रमण में काढ़ा का महत्व दर्शाता है कि यह कितना कारगर है। यही नहीं मंत्री ने यह कहकर भी चौंका दिया कि वनऔषधीय बोर्ड एक तरह से स्वास्थ्य मंत्रालय के दायरे में आना चाहिए था।
उन्हों ने केंद्र का उदाहरण देते हुए कहा सेंट्रल मिनीस्ट्री में वनऔषधीय स्वास्थ्य का ही एक हिस्सा है। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसी व्यवस्था नहीं है और यह वन विभाग के दायरे में है। बातों ही बातों में उन्हों ने सफेद मुसली के फायदे भी गिनाए और उनके साथ वहां मौजूद सभी मुस्कुराने लगे।
अमर-अकबर दूर…
महज एक बोर्ड अध्यक्ष के पदभार समारोह से दो मंत्रियों की दूरियां कई सवाल खड़ा कर गई। पहला जिस विभाग का बोर्ड है उसी के वन मंत्री मोहम्मद अकबर क्यों प्रोग्राम से दूरी बनाए रखे।
जबकि इस मौके पर प्रदेश के नंबर दो मंत्री सिंहदेव, शिक्षामंत्री टेकाम और सरगुजा के और भी कई विधायक पहुंचे थे। इसी तरह सरगुजा के एक पार्टी नेता और पैलेस के इतने करीबी के पदभार में सब आए पर मंत्री अमरजीत भगत व अन्य मित्रों ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखा।
वहां मौजूद खबरीलालों को समझ आ गया और बातों ही बातों में यह भी कहते रहे..लगता है विभाग दूसरे मंत्री का और बोर्ड दूसरे मंत्री के आदमी को मिलने से यह दूरी है। जबकि मंत्री अमरजीत भगत और मंत्री सिंहदेव के रिश्तों की मधुरता से तो सभी वाकिफ हैं।