Exclusive Government Paddy : एजेंसियों की मिलीभगत से ऐसे हो रहा है सरकारी धान का बंदरबाट

Exclusive Government Paddy : एजेंसियों की मिलीभगत से ऐसे हो रहा है सरकारी धान का बंदरबाट

Exclusive Government Paddy, With the connivance of agencies, this is how government paddy is being sold,

Exclusive Government Paddy

प्रमोद अग्रवाल
रायपुर/नवप्रदेश। Exclusive Government Paddy: शासन द्वारा राज्य में खरीदे जा रहे धान की कस्टम मिलिंग कराने में चल रहे भ्रष्टाचार के कारण मई-जून और उससे भी पहले राइस मिलर्स को आवंटित किए गए लगभग 10 लाख टन धान की मिलिंग नहीं हो पाई है। जबकि मिलिंग अवधि समाप्त होने में मात्र 40 दिन का समय रह गया है।

ज्यादातर राइस मिलर्स शासन से मिला हुआ कस्टम मिलिंग का धान बेच चुके है और उनकी प्रत्याशा के विपरित खुले बाजार में धान समाप्त हो गया है जिसके कारण धान की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल आ गया है और राज्य में जो थोड़ा बहुत धान उपलब्ध है उसकी कीमतें लगभग 2100 रुपए क्विटल तक पहुंच गई है।

इसके कारण पूर्व में धान बेच चुके राइस मिलर्स शासन की कस्टम मिलिंग का चावल भारतीय खाद्य निगम में जमा नहीं कर पा रहे है। राज्य शासन की एजेंसी मार्कफेड द्वारा लगातार दिए जा रहे निर्देशों के विपरित चावल की आपूर्ति नहीं हो रही है। और राज्य शासन की खाद्य शाखा तथा जिला स्तर पर कलेक्टर राइस मिलर्स से साठगांठ करके कार्रवाई से बच रहे है।

आज यदि राइस मिलरों का भौतिक सत्यापन कराया जाए तो राज्य की 70 प्रतिशत राइस मिलरों के पास राज्य शासन से आवंटित धान नहीं पाया जाएगा और यदि राज्य शासन उन्हें कोई अतिरिक्त छूट या सुविधा प्रदान न करें तो अमानत में खयानत कर रहे राइस मिलरों को 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।

राज्य शासन पूरे देश में सबसे अधिक 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर प्रदान कर किसानों से धान खरीद रहा है। इसलिए इस वर्ष लगभग 94 लाख टन धान की खरीदी (Exclusive Government Paddy) की गई थी। यह धान खराब न हो और समय से मिलिंग हो जाए इसलिए राइस मिलरों को प्रति क्विंटल मिलिंग की दर के अलावा प्रोत्साहन राशि देने की भी घोषणा की गई थी। राज्य शासन के प्रोत्साहन से राइस मिलर्स ने राज्य का पूरा धान मई-जून माह तक उठा लिया था। इस धान की कस्टम मिलिंग करके उसे 30 सितंबर तक भारतीय खाद्य निगम में जमा करना था।

रायपुर के बड़े बकायादार

राइस मिलर्स मात्रा (टन में)

  • श्री जगन्नाथ राइस मिल प्राइवेट लिमिटेड -525
  • श्याम राइस इंड्रस्टीज -1962
  • जेडी एग्रो इंड्रस्टीज -3791
  • आर के राइस टेक -1841
  • भोलामल गोकुल दास -2538
  • श्री कृष्णा फूड राइस- 2908
  • राजेश्वरी राइस इंड्रस्टीज -1752
  • एसएसडी एग्रो टेक -3503
  • श्री तिरुपति राइस इंड्रस्टीज -4521

(इनमे से ज्यादातर ने 0 से लेकर 30′ तक चावल दिया है)

सामान्यत: यह होता आया है कि राइस मिलर्स शासन द्वारा प्राप्त धान को खुले बाजार में बेच देते है और भारी मुनाफा कमाते हैं। इस धान की प्रतिपूर्ति राज्य में गर्मी की फसल से होने वाले धान से की जाती है। चूंकि गर्मी की फसल का धान शासन नहीं खरीदता है इसलिए वह खुले बाजार में कम कीमत पर मिल जाता है।

दूसरी ओर राज्स से लगे बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भी गर्मी में बहुतायत से धान होता है जिसे शासन की निगरानी से बचाकर तथा उसकी जांच चौकियों में सेटिंग कर छत्तीसगढ़ लाया जाता है। यह धान भी काफी कम कीमत में मिल जाता है और फिर बेचे गए धान के बदले यह कम कीमत पर आया हुआ धान से चावल बनाकर शासन को दे दिया जाता है। इस दौरान शासन की राशन दुकानों से बचा हुआ चावल भी काफी मात्रा में इकठ््ठा हो जाता है जिसकी रिसाइकिलिंग भी की जाती है।

दुर्भाग्य से इस बार परिस्थितियां एकदम से विपरित हो गई है और जिन राज्यों से तस्करी होकर चावल आता था, उल्टे वहीं राज्य धान और चावल खरीद रहे है और उन्होंने छत्तीसगढ़ का धान भी ज्यादा कीमत पे खरीद लिया है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि युक्रेन और रुस के बीच चल रहे युद्ध और चीन और ताइबान के बीच चल रहे तनाव तथा श्रीलंका की बिगड़ी हुई परिस्थितियों के कारण चावल का निर्यात बड़े पैमाने पर हो रहा है, इसलिए भारतीय बाजारों में धान की बुरी तरह से किल्लत हो गई है। संभवत: यह पहली बार हो रहा है कि देश में सरकारी कीमतों से खुले बाजार में धान की कीमत ज्यादा मिल रही है।

अपने ही जाल में फंस चुके राइस मिलर्स अब शासन के एजेंसियों और राजनेताओं के जरिए इस परिस्थिति को टालने का प्रयास कर रहे है। वे चाह रहे है कि जिन राइस मिलरों पर चावल देना बकाया है उनका चावल भारतीय खाद्य निगम में देने के बजाय राज्य शासन के एजेंसियां, नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड ले लें और उन्हें मिलिंग हेतु अतिरिक्त समय भी प्रदान कर दे। बताया जा रहा है कि इस हेतु राइस मिलर्स बिचौलियों को 150 रुपए क्विंटल तक नजराना देने को तैयार है और यदि ऐसा होता है तो यह माना जाना चाहिए कि वह अपने प्रयास में सफल हो गए है।

राइस मिलर्स का नाम मात्रा (टन में)

  • बजरंग एग्रोटेक- 2933
  • बालाजी इंटरप्राइजेस- 1072
  • गुरुदेव इंटरप्राइजेस- 1854
  • जयश्री पैडीप्रोसेसर- 1200
  • किशोर सारटेक्स -2326
  • कृष्णा टे्रडिंग -803
  • मारुती एग्रो – 841
  • गुरुदेव ड्रेडिंग कंपनी -1167
  • किशोर इंटरप्राइजेस -1677
  • ओम हरि कृष्ण -1283
  • एसके सारटेक्स -1128
  • हरदास राम इंड्रस्टीज -4484
  • श्याम राइसमिल -877
  • गोविंद राइसमिल -1782
  • गंगा पैडी- 1006
  • हनुमंत राइस- 1067

इस संदर्भ में पूछे जाने पर मार्कफेड की एमडी किरण कौशल ने कहा कि राज्य शासन किसी भी हाल में एफसीआई को दिए जाने वाला चावल नहीं लेगा और जो राइस मिलर्स शासन का धान मिलिंग करके एफसीआई को नहीं देगा उसकी क्षतिपूर्ति में उस राइस मिलर्स से धान के बजाय चावल की कीमत वसूली जाएगी साथ ही उसे दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी जब्त कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी कलेक्टरों को उन राइस मिलरों की सूची भेज दी गई है जिन्होंने अब तक कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं किया है।

राज्य शासन के खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा ने कहा कि जिन मिलर्स ने चावल जमा नहीं किया है उनके पास ३० सितंबर तक समय है। इस अवधि में चावल जमा न होने पर शासन की कोई भी एजेंसी वैधानिक कार्रवाई करने में सक्षम है। उन्होंने इस मामले में किसी भी तरह कि भ्रष्टाचार से भी इनकार किया।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *