Narayanpur जिले में शामिल करने की मांग...ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

Narayanpur जिले में शामिल करने की मांग…ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

Demand for inclusion in Narayanpur district ... villagers opened front

Narayanpur

कांकेर/नवप्रदेश। Narayanpur : आदिवासी बहुल कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र के ग्रामीणों ने शनिवार को अंतागढ़ में धरना प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि 18 पंचायतों के 68 गांवों को नारायणपुर जिला में शामिल किया जाये, क्योंकि कोयलीबेड़ा से कांकेर जिला मुख्यालय करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है। जबकि नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी महज 65 किलोमीटर है। इसके पूर्व ग्रामीण जनप्रतिनिधि एकजूट होकर मंगलवार को कांकेर कलेक्ट्रेट भी पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने नारायणपुर जिले में शामिल करने की पुरजोर मांग की।

नारायणपुर जिले (Narayanpur) में शामिल होने से यहां के लोगों को जिला मुख्यालय आने जाने का खर्च कम पड़ेगा और समय की बचत होगी। इसके अलावा गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले स्थानीय आदिवासी परिवार अपने छोटे छोटे कामों के लिए कांकेर तक नहीं पहुंच पाते हैं। वो भी आसानी से नारायणपुर तक जा सकेंगे।

यहां बता दे कि बस्तर कमिश्नर ने जिले के 53 गायों का प्रस्तावित परिसीमन तैयार किया है। इसमें कांकेर जिले के 53 गांवों को नारायणपुर जिले में शामिल किये जाने की बात कही गई है। दरअसल, नारायणपुर जिले से करीब 15 किलोमीटर के दायरे में कोयलीबेड़ा के 68 गाव आते हैं. इन गायों के लोगों को आपने कामों के लिए कांकेर जिला मुख्यालय आना पड़ता है। यहां तक पहुंचने लोगों को 2 से 3 बस बदलनी पड़ती है। समय के साथ-साथ कांकेर पहुचने में उन्हें ज्यादा पैसे भी खर्च करने पड़ जाते हैं। साथ ही 150 किलोमीटर की यात्रा कर ये कांकेर मुख्यालय पहुंच पाते हैं। ऐसे में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उग्र आंदोलन की चेतावनी

  • दूसरी ओर, धरना प्रदर्शन कर रहें ग्रामीणों ने नारायणपुर जिला (Narayanpur) में शामिल होने के अनेक फायदे गिनाए।
  • पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण कोयलीबेड़ा इलाके में आज तक आदिवासी बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए एक कॉलेज तक नहीं खोला गया है।
  • कोयलीबेड़ा इलाके के अंदरूनी गांवों में हालत और भी खराब है।
  • बरसात के दिनों में ज्यादातर गांव अलग थलग हो जाता है।
  • ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी आवाज अनसुनी कर दी गई तो उग्र आंदोलन करेंगे जिसकी जवाबदेही सरकार की होगी।

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