Delhi Service Bill Introduced In Rajya Sabha : लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में दिल्ली बिल पेश

Delhi Service Bill Introduced In Rajya Sabha : लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में दिल्ली बिल पेश

Delhi Service Bill Introduced In Rajya Sabha :

Delhi Service Bill Introduced In Rajya Sabha :

0 राघव चड्ढा ने सदन में कहा; नेहरूवादी नहीं, अटलवादी बनिए, भाजपा ने वादा किया था

नई दिल्ली/नवप्रदेश डेस्क। Delhi Service Bill Introduced In Rajya Sabha : गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पेश किया। 3 अगस्त को लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है। राज्यसभा में केंद्र सरकार की तरफ से अमित शाह ने जब बिल पेश किया तो AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा- ये बिल एक राजनीतिक धोखा है। भाजपा ने 1989, 1999 और 2013 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। आज भाजपा के पास मौका है, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिए।

राघव चुप नहीं हुए और उन्होंने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह कह रहे थे कि नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि लाल कृष्ण आडवाणी संसद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए बिल लेकर आए थे। अटल जी, आडवाणी जी, सुषमा स्वराज और मदन लाल खुराना ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया था।

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संसद को दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा- AAP ने पंजाब और दिल्ली से कांग्रेस को साफ कर दिया, गुजरात में वोट हाफ कर दिया फिर भी कांग्रेस ने इनको माफ कर दिया।

आप ये बिल लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हो। आपके पास मौका है- नेहरूवादी नहीं अटल-आडवाणीवादी बनिए। राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल एक संवैधानिक पाप है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिए पलटकर भाजपा ने मैसेज दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानते

सिंघवी ने कहा कि बिल का मकसद डर पैदा करना है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है। सिंघवी ने कहा- लालकृष्ण आडवाणी जब होम मिनिस्टर थे, तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए बिल लाए थे। भाजपा ने पूर्ण राज्य के मुद्दे पर दिल्ली के दो चुनाव जीते थे।

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