Defence Land Case : सुप्रीम कोर्ट ने मांगी केंद्र से रिपोर्ट, कई राज्यों पर रक्षा भूमि कब्जे का आरोप

Defence Land Case
Defence Land Case : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश के कई राज्य सरकारों, उनकी एजेंसियों और निजी संस्थाओं ने रक्षा मंत्रालय की भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। केंद्र ने कहा कि रक्षा भूमि से अवैध कब्जे हटाने के प्रयास जारी हैं, और इस दिशा में गठित समिति को स्थानीय स्तर पर प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त स्वतंत्र समिति को निर्देश दिया है कि वह रक्षा भूमि पर अतिक्रमण हटाने की प्रगति पर दो सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करे। अदालत में पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि समिति अतिक्रमण वाले इलाकों का दौरा कर रही है, परंतु कुछ स्थानों पर स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए अदालत से स्पष्ट निर्देश और हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
NGO की याचिका पर चल रही है सुनवाई
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में गैर-सरकारी संगठन ‘कामन काज’ ने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण की जांच के लिए जनहित याचिका दायर की थी। संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि समिति को बारीकी से जांच करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कैग (CAG) की रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई थी कि रक्षा भूमि प्रबंधन के लिए एक स्वतंत्र नियामक संस्था की आवश्यकता है। इस पर पीठ ने कहा कि भविष्य में गठित कोई भी निकाय स्थानीय राजस्व अधिकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद से कार्य करेगा। अदालत ने अगली सुनवाई 10 नवंबर 2025 के लिए तय की है।
केंद्र का हलफनामा : 2,000 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा
केंद्र सरकार ने अपने 30 जुलाई 2025 के हलफनामे में बताया था कि देशभर में कुल 75,629 एकड़ रक्षा भूमि में से करीब 2,024 एकड़ भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, जबकि 1,575 एकड़ भूमि ऐसे लोगों के पास है जिन्होंने यह भूमि कृषि उद्देश्यों के लिए पट्टे पर ली थी, लेकिन अब उसका अनधिकृत उपयोग कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 819 एकड़ भूमि राज्य व केंद्र सरकार के विभागों या उपक्रमों के कब्जे में है, जहां सड़कों, स्कूलों, पार्कों, बस स्टैंडों जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए निर्माण किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समिति की रिपोर्ट के बाद होंगे निर्देश
पीठ ने कहा कि समिति की अंतरिम रिपोर्ट मिलने के बाद अदालत यह तय करेगी कि आवश्यक निर्देश या आदेश क्या जारी किए जा सकते हैं। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि केंद्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद स्थानीय प्रशासन और रक्षा संपत्ति अधिकारियों के समन्वय से आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।