मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही, अब महंगाई ने फिर बिगाड़ा किचन का माहौल…
नईदिल्ली। Corona period Inflation: कोरोना काल में रोजगार के संसाधन सीमित हो जाने एवं सैलरी कटने के चलते जहां आमदनी कम हो गई है। वहीं खाने-पीने की चीजों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से लोगों का मंथली बजट गड़बड़ा गया है। हाल ही में खाने के तेलों में हुई बढ़ोत्तरी से लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं।
सरसों का तेल करीब 150 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया है। इसी तरह सोया तेल में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में एम्पॉर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर जल्दी ही खाद्य तेल में बढ़ोतरी की समीक्षा करने वाली है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 1 साल में खाने के तेल की कीमतों में करीब 95 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है।
खाद्य मंत्रालय (Corona period Inflation) ने कुकिंग ऑयल की कीमतों की समीक्षा के लिए मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह को एक प्रस्ताव भेजा है और जल्द ही एक बैठक बुलाने का कहा है। इसमें आयात शुल्क में कटौती का निर्णय लिया जा सकता है। बता दें कि नवंबर 2020 से खाद्य तेलों पर लागू आयात शुल्क को कम नहीं किया गया है।
भारत खाद्य तेलों की अपनी 70 प्रतिशत मांग को पूरा करता है, जिसमें प्रमुख रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल आयात होता है। उम्मीद है कि आयात शुल्क में कटौती से उपभोक्ताओं के लिए खाद्य तेलों की कीमतें कम हो सकती है।
सरसों के तेल के अलावा सोयाबीन (Corona period Inflation) के तेल में भी वृद्धि देखने को मिली। इस साल अब तक सोयाबीन के दाम 40 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। कम आपूर्ति और चीन की मांग में गिरावट ने कमोडिटी की दरों को बढ़ावा दिया है। खाद्य तेल के अनुबंधों की दरें मंगलवार को बढ़ीं। ट्रेड में रिफाइंड सोया तेल 1232 रुपए था जिसमें 0.94 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली।