Video:भाजपा शासन काल में बिजली बिल वृद्धि पर कांग्रेस ने मांगा रमन सिंह से जवाब,कहा-हर वर्ष औसत 6% वृद्धि क्या थी?
रायपुर/नवप्रदेश। Electricity Bill Increase:छत्तीसगढ़ में 1 अगस्त से विद्युत् नियामक आयोग ने बिजली बिल में इजाफा किया है। जिसके बाद से ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने राज्य सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा था कि सरकार की कथनी थी “बिजली बिल हाफ” और करनी है “घर की बचत साफ”। कोरोना संकट के कारण आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे प्रदेशवासियों पर बिजली की दरों में बढ़ोतरी का फैसला बोझ बढ़ाने वाला है।
अब रमन सिंह के बयान पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पलटवार किया है। त्रिवेदी की माने तो रमन सिंह को बिजली पर कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने रमन सिंह से ही उलटा सवाल पूछते हुए कहा कि बिजली दर की औसत 1.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि (Electricity Bill Increase) को जनता के साथ विश्वासघात कहने वाले रमन सिंह बताएं कि 15 साल तक हर वर्ष औसत 6 प्रतिशत की वृद्धि क्या थी? ऊर्जा विभाग में हुये बड़े-बड़े घपले घोटाले क्या थे? कोरबा वेस्ट पावर प्लांट में किये गये घोटाले क्या थे?
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित भाजपा नेताओं द्वारा लगातार गंगाजल को लेकर की जा रही शंकाओं का निराकरण करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा की सरकार ने संकल्प और राज्यपाल के अभिभाषण के बावजूद 5 वर्ष लगातार 300 रू. बोनस नहीं दिया, 2100 रू. समर्थन मूल्य नहीं दिया, एक-एक दाना धान की खरीद नहीं की, 5 हार्सपावर पंपों की बिजली माफ नहीं की, रमन सिंह जी अब तो कांग्रेस सरकार को उपदेश देना बंद करें।
वादों करके मुकर जाना भाजपा और रमन सिंह का चरित्र है। कांग्रेस ने जो कहा वह करके दिखाया। कृषि ऋण की माफी दस दिनों में करने के लिये गंगाजल उठाया था। कर्ज से परेशान किसानों के फांसी अरोकर लटकने के बावजूद भाजपा सरकार के नेताओं के मटकने का दुखद और शर्मनाक सिलसिला कांग्रेस की सरकार बनने के बाद खत्म हुआ। भाजपा की राज्य सरकार के शासनकाल में किसान आत्महत्या की संज्ञान में आयी घटनाओं की कांग्रेस ने जांच दल गठित कर जांच की और इन जांच दलों के निष्कर्षों के आधार पर किसानों की कर्ज माफी (Electricity Bill Increase) का सोचा समझा निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कांग्रेस की सरकार बनते ही की गयी किसानों की कर्जमाफी इसलिये भी महत्वपूर्ण रही क्योंकि लेटर पैड में फोटोशॉप करके दूसरा नाम लिखकर, दूसरे के हस्ताक्षर से किसानों को भ्रमित करने साजिश का खेल भी भाजपा के काम नहीं आया।
कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी की फैसले की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि रमन सिंह सरकार की तरह दरअसल कर्जमाफी तिहार का विज्ञापन नहीं आया है। किसानों को सरकारी खर्च पर ही ढो-ढोकर मुख्यमंत्री का संबोधन सुनने को ले जाया नहीं गया और कर्जमाफी हो गयी। कांग्रेस की सरकार बनते ही कृषि ऋण की माफी से कांग्रेस और भाजपा के बीच का अंतर भी प्रदेश और देश के मतदाताओं को स्पष्ट उजागर हो गया था। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का फैसला कर स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस की कर्जमाफी की घोषणा मोदी के सबके खाते में 15 लाख आने की तरह की घोषणा नही थी। मोदी की घोषणा को तो बाद में स्वयं अमित शाह ने जुमला कहकर खारिज दिया। भाजपा ने तो देशवासियों और प्रदेशवासियों की आशाओं, आकांक्षाओं पर तुषारापात ही किया है।
सरकारें बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के किसानों की कर्जमाफी के महत्वपूर्ण फैसले का पूरा श्रेय नेता राहुल गांधी को देते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 22 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरूआत में ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साइंस कॉलेज मैदान में हुई सभा में किसानों की कर्जमाफी की स्पष्ट घोषणा की थी।
15 नवंबर 2018 को पत्रकारवार्ता में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह और एआईसीसी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी हम सब ने गंगाजल उठाकर कांग्रेस सरकार की शपथ ग्रहण के 10 दिनों के भीतर अर्थात 240 घंटो के भीतर किसानों की कर्जमाफी की सौगंध खाई थी, जो मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल और टी.एस. सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू ने मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के एक घंटे के अंदर मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में कर दिखाया।
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