संपादकीय: नई दिल्ली में रेवड़ी बांटने की होड़
Competition to distribute Revdi in New Delhi: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच रेवड़ी बांटने की होड़ लग गई है। तीनों ही राजनीतिक दलों ने अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्रों में लोकलुभावन घोषणाओं की बारिश कर दी है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी किया है जिसे उन्होंने मोदी की गारंटी की तर्ज पर केजरीवाल की गारंटी का नाम दिया है।
इसमें उन्होंने नई दिल्ली की जनता को 15 गारंटी दी है जिसको पांच साल के भीतर पूरा करने का वादा किया है। मुफ्त बिजली और पानी के अलावा उन्होंने मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली और भी कई घोषणाएं कर दी है। उन्होंने छात्रों को भी नि:शुल्क बस यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया है साथ ही मैट्रो ट्रेन में भी छात्रों को रियायती दरों पर यात्रा सुविधा प्रदान करने की घोषणा की है इसके अलावा और भी कई घोषणाएं की गई है।
आम आदमी पार्टी की देखादेखी भाजपा और कांग्रेस ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्रों में इसी तरह की मुफ्तखोरी वाली घोषणाओं को तरजीह दी है। आम आदमी पार्टी ने महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2100 रूपये मासिक वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया है तो भाजपा और कांग्रेस ने पच्चीस-पच्चीस सौ रूपये मासिक देने की घोषण की है। कांग्रेस ने बीपीएल परिवार की महिलाओं को पांच सौ रूपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की घोषणा की, तो आम आदमी पार्टी और भाजपा ने भी इस घोषणा को अपने अपने घोषणा पत्रों में शामिल कर लिया।
युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने शिक्षित बेरोजगारों को आठ हजार रूपये महीना देने की घोषणा की है तो भाजपा ने दो लाख युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया है तो इससे भी दो कदम आगे बढ़ते हुए आम आदमी पार्टी ने सभी को रोजगार देने का वादा कर दिया है। कुल मिलाकर तीनों ही पार्टियों के बीच मुफ्त रेवड़ी बांटने की होड़ लगी हुई है। इस मामले में कोई भी पार्टी किसी से भी पीछे नहीं रहना चाहती। बल्कि उससे आगे निकलना चाहती है।
आम आदमी पार्टी ने तो दो सौ यूनिट तक बिजली फ्री करने की योजना लागू की हुई है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने तीन सौ यूनिट बिजली फ्री देने का वादा कर दिया है। कांग्रेस का तो जहां तक प्रश्न है वह पहले से ही फ्री रेवड़ी कल्चर को अपना चुकी है और इसी के चलते कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलांगाना में अपनी सरकार बना चुकी है। किन्तु भाजपा तो फ्री रेवड़ी कल्चर की विरोधी रही है।
खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक बता चुके हैं। इसके बाद भी भाजपा नई दिल्ली में रेवड़ी बांटने पर मजबूर हो गई है। तीनों पार्टियों के बीच नई दिल्ली में कांटे की टक्कर होने जा रही है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी को उसी दांव में मात देने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही फ्री रेवड़ी कल्चर को अपनाने पर विवश हो गई है।
कुल मिलाकर नई दिल्ली में किसी की भी सरकार बने वहां के मतदाताओं की बल्ले-बल्ले होना तय है। कायदे से तो कोई भी चुनाव जनहित से जुड़े मुद्दों के आधार पर लड़ा जाता है। नई दिल्ली में भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिनके आधार पर लड़ा जाना चाहिए।
लेकिन जनहित से जुड़े ऐसे तमाम मुद्दे हासिए पर चले गये हैं अब तो ऐसा लगता है कि नई दिल्ली में मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घाषणाओं के आधार पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है। इनमें से जिस पार्टी की लोकलुभावन घोषणाएं मतदाता को ज्यादा पसंद आएगी। लगता है उसी पार्टी की नई दिल्ली में सरकार बनेगी।