CM Change : मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा
CM Change : हाल ही में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के पहले ही बदल दिया गया है। ताजा उदाहरण पंजाब का है जहां के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव के चार महीने पहले बदल दिया गया। इसके पहले गुजरात के मुुख्यमंत्री विजय रूपाणी को भी हटाकर नया मुख्यमंत्री बनाया गया है।
विजय रूपाणी का कार्यकाल भी कुछ महीने का ही रह गया था। ऐन चुनाव के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बदलकर संबंधित पार्टियों का हाईकमान न जाने क्या संदेश देना चाहता है। कायदे से तो किसी भी निर्वाचित मुख्यमंत्री को उसके पांच साल का कार्यकाल पूरा करने दिया जाना चाहिए। आखिरकार मुख्यमंत्री विधायकों की सहमति से बनता है और पार्टी आलाकमान भी विधायकों के बहुमत के आधार पर मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करती है।
जब हर तरह से ठोक बजाकर किसी को मुख्यमंत्री पद पर आसिन किया जाता है तो उसे अपना कार्यकाल पूरा करने का भी मौका मिलना ही चाहिए, जब तक ऐसे मुख्यमंत्री पर कोई गंभीर आरोप न लगे या वह मुख्यमंत्री पार्टी के हितों के खिलाफ जाएं। दरअसल मुख्यमंत्रियों को समय से पहले बदलने की पंरपरा बहुत पुरानी है।
सांतवे दशक में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही मुख्यमंत्री को हटाकर (CM Change) उसकी जगह दूसरे को मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा शुरू की गई थी जो आज तक चली आ रही है। उस दौरान मुख्यमंत्री के सिर पर पार्टी आलाकमान तलवार लटकाएं रखता था और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाजू में एक अन्य ताकतवर नेता को खड़ा रखता था जो कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो जाता था।
आज भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है जबकि इसपर अब विराम लगना चाहिए। यदि किसी भी निर्वाचित मुख्यमंत्री को चौबीसो घंटे अपनी कुर्सी खतरे में नजर आएगी तो वह अपनी कुर्सी बचाने को ही सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। अपनी कुर्सी बचाने की उधेड़बुन में लगा रहेगा तो मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन कब करेगा?
बेहतर होगा कि समय से पूर्व मुख्यमंत्रियों को बदलने (CM Change) की परंपरा को पिलांजलि दी जाएं और सभी मुख्यमंंत्रियों को उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का अवसर दिया जाएं।