Cleanliness Campain : स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका निभाती महिलाएं |

Cleanliness Campain : स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका निभाती महिलाएं

Cleanliness Campaign: Women playing an important role in cleanliness campaign

Cleanliness Campaign

सुश्री विनी महाजन, सचिव, जल शक्ति मंत्रालय। Cleanliness Campain : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) अभियान के दौरान महिलाओं का योगदान बिल्कुल चकित कर देने वाला रहा है। रूढिय़ों को तोडऩे से लेकर अपने समुदायों के भीतर के पूर्वाग्रहों पर काबू पाने तक, उन्होंने अपने समुदायों के स्वास्थ्य एवं कल्याण से जुड़े मामलों में योगदान करते हुए सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विविध भूमिकाएं निभाई हैं।

महिलाओं ने शौचालयों के निर्माण के लिए रानी मिस्त्री, कचरे को इक_ा करने, अलग करने और शोधित करने के लिए हरित राजदूत, सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के संचालन और रख-रखाव के लिए प्रभारी, कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य प्रमोटर, साफ-सफाई और स्वच्छता से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन (आईपीसी) से संबद्ध पेशेवर, स्वच्छता कार्य में संलग्न स्वच्छाग्रही, बर्तन बैंक शुरू करने या सैनिटरी नैपकिन बनाने वाले उद्यमी आदि के रूप में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। उनकी इन सभी भूमिकाओं से उनके गांवों को स्थायी लाभ पहुंचा है।

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर, मैं उनके प्रयासों की सराहना करना चाहती हूं। उनका धैर्य एवं दृढ़ संकल्प और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण उनके द्वारा बार-बार प्रदर्शित बहुमुखी प्रतिभाओं ने यह साबित किया है कि उचित समर्थन मिलने पर महिलाएं कुछ भी करने में सक्षम हैं। नए कौशल को हासिल करने, नए विचारों को अपनाने और खुद को सशक्त बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को लेकर उनका रवैया अक्सर पर्याप्त रूप से अनुकूल होता है। वास्तव में, हमारे गांवों की महिलाएं सराहना की पात्र हैं।

यहां कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं जो स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में उनकी अपरिहार्य भूमिका को प्रदर्शित करते हैं:
गडग में कूड़ा उठाने की कमान महिलाओं के हाथों में: कर्नाटक के गडग जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों (जीपी) में कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों के संजीवनी महिला स्वयं सहायता समूह को सौंपी गई है। यह कार्य, जिसे आजीविका के वैकल्पिक स्रोत के रूप की पेश किया गया है, ग्रामीण महिलाओं के लिए निरंतर आय सुनिश्चित करती है। इन महिलाओं ने अपने सपने में भी दूर-दूर तक यह कभी नहीं सोचा होगा कि वे ट्रक चलाकर पुरुषों के वर्चस्व वाले एक और क्षेत्र पर कब्जा जमायेंगी और समाज को एक अमूल्य सेवा प्रदान करेंगी।

बर्तन बैंकों के जरिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं ने एक फिर दिखाई अपनी क्षमता: छत्तीसगढ़ के महासमंद जिले में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने बर्तन बैंक की शुरुआत के माध्यम से एक बार फिर से अपनी क्षमता दिखाई है। क्रॉकरी और खाना पकाने के बर्तनों को मामूली रकम पर उधार देने वाले ये बर्तन बैंक दरअसल गांवों में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध से पैदा होने वाली दिक्कतों का समाधान हैं। स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं, जो स्वच्छाग्रही के रूप में दोहरी भूमिका निभाती हैं, ने स्टील/धातु की प्लेट और गिलास के साथ-साथ खाना पकाने के बर्तन खरीदने का उपाय निकाला, जिसे लोग शादी या अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों के लिए उधार ले सकते हैं और काम खत्म हो जाने के बाद उन्हें एक नाममात्र के शुल्क के साथ बैंक को वापस कर सकते हैं।

शाजापुर में महिलाओं ने प्लास्टिक के खिलाफ मोर्चा संभाला: ग्रामीण क्षेत्रों में तीन अवधारणाओं (उपयोग घटाने, दोबारा प्रयोग में लाने और पुनर्चक्रण) पर आधारित प्लास्टिक के उपयोग को घटाने का एक शानदार घरेलू उपाय प्रस्तुत करते हुए मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनका यह प्रयास स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के दूसरे चरण की भावनाओं के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए वहां खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) की स्थिति को बनाए रखना और ठोस एवं तरल कचरे का कारगर तरीके से प्रबंधन करना है।

मध्य प्रदेश में महिला चित्रकार स्वच्छता संबंधी (Cleanliness Campain) नतीजों को बरकरार रखने में मदद करती हैं: मध्य प्रदेश के डिंडोरी के आदिवासी जिले के करंजिया ब्लॉक के पाटनगढ़ गांव में घूमते हुए किसी की भी नजर स्वच्छता के प्रमुख संदेशों से लैस चमकीले रंगों की दीवारों पर जाना तय है। दीवारों पर ये चित्रकारी उन महिलाओं की रचना है जो स्वच्छ गांवों के दृश्यों, शौचालयों और कूड़ेदानों से परिपूर्ण घरों और सुरक्षित स्वच्छ व्यवहार एवं प्रथाओं के महत्व को दर्शाती हैं। लोक चित्र कला से स्वच्छता संवाद, जोकि मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित एक अभियान है, में लगभग ग्यारह हजार महिलाओं ने भाग लिया था।

वर्मीकम्पोस्टिंग – महिलाओं के लिए आय का एक वैकल्पिक स्रोत: उत्तर एवं मध्य अंडमान जिले के रंगत ब्लॉक के शिवपुरम ग्राम पंचायत (जीपी) में दो स्वयं सहायता समूहों, स्टार एसएचजी और सनिस एसएचजी को वर्मीकम्पोस्टिंग से जुड़ी गतिविधियों में सफलतापूर्वक शामिल किया गया है। उनकी पहल ने यह दिखाया है कि महिलाएं वर्मीकम्पोस्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं जो न केवल फसल की पैदावार में वृद्धि करेगी बल्कि गांवों की सफाई में योगदान करते हुए ठोस अपशिष्ट का शोधन भी करेगी।

महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ने उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के संचालन और रख-रखाव (ओ एंड एम) की जिम्मेदारी संभाली: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के जिला प्रशासन ने महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी है। इस संबंध में, विभिन्न सदस्यों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हुए, सफाई कर्मी की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए, शिकायत रजिस्टर का रख-रखाव, एक निर्धारित समय-सारणी के अनुसार सीएससी की नियमित सफाई, सफाई कर्मियों द्वारा सुरक्षा किट का उपयोग और चोरी की रोकथाम के लिए एक विस्तृत कार्य-योजना विकसित की गई है।

अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से थुवुर ग्राम पंचायत (जीपी) में महिलाओं के लिए रोजगार सृजन: केरल के मलप्पुरम जिले का एक गांव, थुवुर राज्य की अपशिष्ट प्रबंधन नीति का सख्ती से पालन और कार्यान्वयन करते हुए स्रोत के स्तर पर पृथक्करण, स्रोत के स्तर पर कम्पोस्टिंग और अलग किए गए स्वच्छ एवं सूखे कचरे को हरित कर्मा सेना (एचकेएस) के नाम से मशहूर ग्रीन टास्क फोर्स, जोकि मुख्य रूप से केरल का एक महिला समूह है, को सौंपने के माध्यम से ठोस कचरे के विकेन्द्रीकृत प्रबंधन का एक आदर्श उदाहरण बन गया है।

बालोद में महिला स्वच्छाग्रहियों (Cleanliness Campain) का कोरोनावायरस की रोकथाम पर ध्यान: कोविड महामारी के चरम के दौरान छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के स्वच्छाग्रहियों ने लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के प्रयास के क्रम में अपने गांवों को साफ रखने पर ध्यान केन्द्रित किया। राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाकर सभी गांवों की सफाई की और उनके कचरे का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया।

उन्होंने घर पर बने मास्क लोगों के बीच वितरित किए। उन्होंने लोगों को मास्क को साफ रखने और निपटाने के तौर–तरीकों के बारे में सलाह दी। वे कोविड-19 के बारे में जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों में शामिल हुईं। उन्होंने लोगों को घर के अंदर रहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने एवं हैंड सैनिटाइजऱ का उपयोग करने के बारे में भी जानकारी दी।

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