गजब : मरम्मत में खर्च किए 18 लाख, नहीं हुआ काम, अब इनका बना अड्डा
18 लाख खर्च पर सौ सीटर आश्रम का अन्यत्र हो रहा संचालन
जीर्णोधार भवन में मवेशियों का कब्जा
सामने कुछ भी कहने से बचते रहे अधिकारी
18 लाख खर्च कर दरवाजे और रंग रोगन कर पैसे निकालने का ग्रामीणों ने लगाया आरोप
सुकमा/नवप्रदेश। सुकमा जिले (Sukma District) में आदिमजाति कल्याण विभाग (Tribal welfare department) द्वारा संचालित आश्रम में लाखों रुपये खर्च (Spend lakhs of rupees)कर अधूरे काम कर पैसे आहरण का मामला सामने आया है । ग्राम पंचायत जीरमपाल के आश्रित ग्राम डब्बारास में संचालित सौ सीटर आश्रम भवन का।
पिछले शैक्षणिक सत्र के दरम्यान भवन की स्थिती को देखते हुये आश्रम को रामपुरम में स्थानांतरित किया गया। वहीं जर्जर हो चुके उक्त भवन को तकरीबन बीस लाख रूपये खर्च कर आदिवासी विकास विभाग ने मरम्मत (Repairs) करवाया। किंतु ग्रामिणों का आरोप है कि मरम्मत (Repairs) के नाम पर भवन में कुछ खिड़कियां और रंगरोगन के अलावा ज्यादा कुछ नहीं किया गया ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम डब्बारास में वर्ष 2007 में 100 सीटर आश्रम हेतु एक भवन का निर्माण किया गया। यहां तब से ही ट्राइबल विभाग द्वारा आश्रम का संचालन किया जा रहा है। गत शैक्षणिक सत्र के दरम्यान आश्रम को भवन मरम्मत के नाम पर रामपुर में शिफ्ट कर दिया गया। इस आश्रम में छात्रों की दर्ज संख्या लगभग 90 है जो कि जिरमपाल पंचायत के बच्चे थे ।
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सत्र खत्म होने से पहले ही भवन जर्जर हो गया जबकि जिम्मेदार कहते है कि सत्र की शुरुआत में भवन में मरम्मत (Repairs) का काम जारी था इस वजह से आश्रम कहीं और संचालित किया गया । मरम्मत के नाम पर आहरित किये गए 18 लाख: जीरमपाल ग्राम पंचायत के आश्रित दर्जनभर ग्रामों के बच्चे रहकर यहां अध्ययन किया करतेे थे।
इधर ट्राइबल विभाग ने भवन मरम्मत (Repairs) के नाम पर तकरीबन बीस लाख रूप्ये खर्च कर दिये किंतु आश्रम का संचालन करना भूल गया। मरम्मत के बाद से ही भवन को खुला छोड़ देने से अब यहां मवेषियों ने कब्जा कर लिया है। इधर ग्रामिणों का आरोप है कि विभाग ने भवन मरम्मत के नाम पर केवल लीपापोती कर राषि आहरण कर लिया है। भवन में चंद खिड़कियों के पल्ले और दीवारों पर केवल रंग रोगन ही किया गया है।
लाखों खर्च फिर भी अनुपयोगी है आश्रम: विभाग ने मरम्मत के नाम पर इतनी भारी भरकम राषि खर्च कर तो दिया किंतु भवन में ना तो पानी की समुचित व्यवस्था है ना ही विद्युत की। दुसरी ओर 100 सीटर आश्रम में शौचालयों की संख्या भी काफी कम है और जो शौचालय हैं उनकी स्थिती भी कुछ ठीक नहीं है। आश्रम में विद्युत हेतु सौर उर्जा लगाया गया था किंतु वह भी अब नदारद दिख रहा है।
इस संबंध में विभाग के सहायक आयुक्त पी एल रामटेके से पूछा गया किंतु उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। एक तरफ कांग्रेस की नई सरकार अंदरूनी क्षेत्रों में बंद पड़े स्कूल आश्रमों को पुन: खोलने लाख दावे कर ले मगर उच्च अधिकारियों की ऐसी लापरवाही कहीं न कहीं उन दावों को खोखली साबित करती नजर आती हैं।
मरम्मत के नाम से आश्रम का संचालन अब भी रामपुरम में किया जा रहा है । ठेकेदार द्वारा 18 लाख खर्च कर आश्रम में दरवाजा लगा रंग रोगन कर पैसे आहरित कर लिए और अधिकारियों द्वारा कभी निरीक्षण तक नही किया गया। सत्र खत्म भी नहीं हुआ और भवन अब भी से जर्जर स्थिति में है लाखो रुपया खर्च किया गया पर आश्रम जैसा पहले था वैसा ही है अभी भी ।
माड़ा सोढ़ी, ग्रामीण डब्बारास