Cheque Bounce Cases : सुप्रीम कोर्ट ने बैकलॉग कम करने के लिए जारी की नई गाइडलाइन, समझौते और अतिरिक्त शुल्क से होगा निपटारा

Cheque Bounce Cases : सुप्रीम कोर्ट ने बैकलॉग कम करने के लिए जारी की नई गाइडलाइन, समझौते और अतिरिक्त शुल्क से होगा निपटारा

Cheque Bounce Cases

Chhattisgarh Liquor Scam

Cheque Bounce Cases : बड़े शहरों की जिला अदालतों में चेक बाउंस के मामलों (Cheque Bounce Cases) की भारी संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बैकलॉग घटाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस का मामला अर्ध-आपराधिक प्रकृति का होता है और इसमें स्वैच्छिक समझौते की गुंजाइश रहती है।

न्यायमूर्ति मनमोहन और एनवी अंजारिया की पीठ बांबे हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में कई बार दिशा-निर्देश जारी किए गए, लेकिन फिर भी बड़े शहरों की अदालतों में चेक बाउंस (Cheque Bounce Cases) के मामलों की संख्या अत्यधिक बनी हुई है।

जिला अदालतों में लंबित पड़े मामलों को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी सुनवाई के दौरान चेक की पूरी रकम चुका देता है, तो उसे समझौते से राहत मिल सकती है। अगर बचाव पक्ष की गवाही दर्ज होने से पहले भुगतान होता है तो बिना किसी जुर्माने के मामला खत्म किया जा सकता है। वहीं यदि आरोपी अपनी गवाही दर्ज कराने के बाद लेकिन फैसले से पहले भुगतान करता है, तो उसे चेक राशि का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा (Cheque Bounce Cases)।

यदि मामला सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट तक पहुंच गया है और वहां भुगतान किया जाता है, तो आरोपी को 7.5 प्रतिशत अतिरिक्त राशि अदा करनी होगी। जबकि यदि सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर समझौता होता है, तो आरोपी को भुगतान के साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सजा से अधिक भुगतान की वसूली और चेक को एक भरोसेमंद भुगतान माध्यम बनाए रखना है (Cheque Bounce Cases)।

कोर्ट ने यह भी कहा कि चेक बाउंस का मामला पूरी तरह आपराधिक नहीं है बल्कि अर्ध-आपराधिक है, और आरोपी को अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम 1958 के तहत राहत भी मिल सकती है। यानी उसे जेल की बजाय चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है।

इसके साथ ही अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) लागू होने के बाद समन केवल परंपरागत तरीके से ही नहीं बल्कि “दस्ती” के माध्यम से भी दिया जा सकेगा। यानी शिकायतकर्ता स्वयं भी आरोपी को समन दे सकता है। इससे चेक बाउंस मामलों (Cheque Bounce Cases) की सुनवाई की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो सकेगी।

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