Chanakya Niti : गलत काम करने पर पुत्र को करें दण्डित – चाणक्य
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) माता-पिता के कर्त्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि लाड़-प्यार बच्चे में दोष ही उत्पन्न करता है और प्रताड़ना सुधार का प्रतीक है। जो माता-पिता अपने पुत्र को व गुरू अपने शिष्य को केवल लाड़-प्यार ही करते हैं और गलत काम करने पर दण्डित नहीं करते, ऐसे बेटे व शिष्य बिगड़ जाते हैं।
वह कहते हैं कि बच्चे का भविष्य देखते हुए माता-पिता का यह दायित्व बन जाता है कि उन्हें जहां अच्छा करने पर प्रोत्साहित करें, उन्हें स्नेह दें, वहीं गलत करने पर उन्हें प्रताड़ित करना भी आवश्यक है। इसी से उन्हें विकास का रास्ता मिलेगा।
इस संसार में हर मनुष्य के जीवन मे लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित हैं। उनमें से एक यह है कि अपने कुल या परिवार की रक्षा के लिए किसी एक का त्याग करना पड़े तो तुरन्त कर दें, पूरे गांव की रक्षा के लिए अपने स्नेहीजनों का त्याग करना पड़े तो कर दें। (Chanakya Niti) पूरे देश के लिए गावं छोड़ना पड़े तो निःसंकोच छोड़ दें और यदि अपनी अन्तरात्मा की सच्चाई की रक्षा के लिए सर्वस्व भी छोड़ना पड़े तो छोड़ दें। सत्य की रक्षा करना तो सबसे महान् कर्तव्य है।
किसी भी वस्तु की संख्या का उतना ही महत्व नहीं होता जितना गुणवत्ता का, जिस प्रकार एक ही वृक्ष अपने पुष्प और सुगन्ध से सारी वाटिका को सुगन्धित और सुशोभित बना देता है, उसी प्रकार किसी I
परिवार में एक ही पुत्र गुणदान और यशस्वी हो जाये तो अपने गुणों से अपने कुल को यशस्वी और प्रसिद्ध बना देता है। अपनी शक्ति को व्यापक क्षेत्र में व्यय न करके मनुष्य को एक ही दिशा में अपनी प्रतिभा का उपयोग करना चाहिए।
अतः वंश गुणवान पुत्र से ही ऊंचा उठता है। इसलिये गुणहीन अनेक पुत्रों की अपेक्षा एक ही गुणवान पुत्र होना अत्याधिक अच्छा है।
Chanakya Niti: एक में बड़ी शक्ति है, निर्माण का क्षेत्र हो या विनाश का, चारों तरफ एक ही शक्ति से दोनों कार्य सिद्ध हो जाते हैं। जिस प्रकार अग्नि से जलता हुआ एक ही सूखा हुआ वृक्ष सारे वन को जलाकर राख कर देता है, उसी प्रकार एक ही कलंकित पुत्र से सारा कुल कलंकित हो जाता है। अभिप्राय यह है कि यदि किसी के चार पुत्रों में तीन सुपुत्र व एक कुपुत्र है, तो वह एक कुपुत्र ही तीनों सुपुत्रों द्वारा बनायी गयी कुल को कीर्ति को मिट्टी में मिला देता है। अतः माता-पिता को अपने सभी पुत्रों को योग्य बनाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से ही कुल कलंकित होने से बचाया जा सकता है।