Chanakya Niti : ऐसे गुरू का करें परित्याग, नहीं तो धन और करियर हो जाएगा बर्बाद

Chanakya Niti : ऐसे गुरू का करें परित्याग, नहीं तो धन और करियर हो जाएगा बर्बाद

नई दिल्ली, नवप्रदेश। आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत सभी के लिए प्रासंगिक हैं। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांतों में महिला, पुरुष, देश, समाज, सत्ता, अर्थव्यवस्था, विदेशों के साथ संबंध आदि को लेकर अपने सिद्धांत दिए और आज उनके सिद्धांत सबसे ज्यादा लोगों के लिए फायदेमंद हैं।

चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के सिद्धांतों में गुरु-शिष्य के संबंधों पर भी कई बातें कही हैं। चाणक्य ने हर किसी के बीच संबंधों की बेहतर व्याख्या की है।

एक श्लोक की मानें तो

‘गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात्परब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नमः’

इस श्लोक में कहा गया है कि गुरु ब्रह्मा के समान हैं, गुरु विष्णु के समान हैं, गुरु शिव या संहारक के समान हैं, गुरु परब्रह्म अर्थात सर्वोच्च देवता या सर्वशक्तिमान है।. ऐसे में जो गुरु हमें प्रकाश की ओर ले जाते हैं हम उस गुरु को नमन करते हैं।

आप सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में पहला गुरु माता-पिता होते हैं, इसके बाद शिक्षक और फिर आपका अपना अनुभव जो आपको बहुत कुछ सीखाता है। ऐसे में गुरु को परमसत्ता गोविन्द के बराबर कहा गया है।

गुरु के बिना किसी भी शिष्य के लिए ज्ञान की कल्पना बेमानी है। ऐसे में जीवन में अच्छे और बुरे का ज्ञान आपको हमेशा गुरु से ही मिल सकता है। ऐसे में गुरु और शिष्य का एक दूसरे के प्रति समर्पण हमेशा एक जैसा होना चाहिए, ऐसे में चाणक्य ने बताया कि कब और कैसे गुरु का त्याग कर देना चाहिए।

त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्।

त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥

दया धर्म का मूल है

अगर धर्म में दया का भाव नहीं हो तो उसका परित्याग कर देने में ही भलाई है। क्योंकि धर्म का मूल करुणा और दया है। ऐसे में दयाभाव से भरे व्यक्ति अंतहीन सुख को पाते हैं।

विद्या से हीन गुरु

गुरु अगर विद्याहीन हो तो उसका परित्याग कर देना चाहिए। क्योंकि शिष्य का सही मार्गदर्शक गुरु होता है और अगर उसके पास ही ज्ञान का अभाव हो तो वह शिष्य को जिंदगी के बारे में क्या बताएगा। ऐसे में इस तरह के गुरु से शिक्षा ग्राहण कर आपको धन हानि के साथ भविष्य भी अंधकार में डूब जाएगा. ऐसे में ऐसे गुरु का परित्याग कर देना चाहिए।

रिश्ते

प्यार और विश्वास के बल पर रिश्ते टिके होते हैं। ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि अगर आपके प्रति आपके रिश्तेदारों के मन में प्रेम और स्नेह का भाव नहीं हो उनसे दूर रहने में ही भलाई है। क्योंकि बुरे वक्त में ऐसे रिश्तेदार आपसे दूर हो जाएंगे और अच्छे वक्त में ये आपका फायदा उठाने से भी नहीं चुकेंगे।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *