chanakya neeti: नीतिशास्त्र को पढकर ही मनुष्य धर्म के प्रति जागरूक हो…
chanakya neeti: धर्म की व्याख्या करते हुए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि समझदार व्यक्ति इस नीतिशास्त्र को पढ़कर ही अपने कार्यबोध यानी धर्म के प्रति जागरूक हो जाता है। उसे अच्छे बुरे का ज्ञान हो जाता है। वह जान जाता है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं? धर्म का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है, ऐसा होने पर ही वह नीतिगत चल सकता है।
सामान्यतः देखें तो कुछ सामान्य बातें धर्म विरूद्ध हो जाती हैं जवकि वे धर्म-सम्मत मानी गयी हैं। विशेषतः ऐसा कार्य जिसके करने से श्रेष्ठ लक्ष्य की प्राप्ति होती हैं। इस बात को इस रूप में समझा जा सकता है कि यदि एक अतिपीड़ित व रोगी पशु को गोली मार दी जाये तो वह उचित होगा क्योंकि उसकी तड़पन से उसकी मौत भली।
चाणक्य ने राजनीति के गहन रहस्यों का उल्लेख करते हुए कहा है कि इन रहस्यों की गूढ़ता तक पहुंचने वाला तो श्रेष्ठ ही है, इसे जानने
भर वाला सर्वज्ञ हो जाता है। उनका स्पष्ट मत है कि यदि राजनीति के सूक्ष्म रहस्य जान लिए जायें तो व्यक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका यह ग्रन्थ अपने आप में राजनीति का मुख्य पथ-प्रदर्शक है। जिस प्रकार सन्तरे की महक से ही कुछ लोग पेट भर लेते हैं, उसी प्रकार राजनीति के सूक्ष्म ज्ञान से कुछ लोग काफी कुछ अर्जित कर लेते हैं।