chanakya neeti: आचार्य चाणक्य के अनुसार- पुरुषकर्म सावधानी भय से बचाती ..
chanakya neeti: निरन्तर परिश्रम ही गरीबी हटाने का अचूक उपाय है। परिश्रमी कभी निर्धन नहीं रह सकता। उद्यम करने वाले को प्रारब्ध में लिखा मिलता है, सोते सिंह के मुख में पशु अपने आप नहीं चले जाते, परिश्रम के बिना तो सिंह को भी भूखा मरना पड़ता है।
नाम का जाप करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में पापों के प्रायश्चित के रूप में तप की ही महत्ता है, जो व्यक्ति निरन्तर जप करता रहता है, उसके पाप तो रह ही नहीं सकते।
उत्तर का प्रत्युत्तर देना अर्थात् ईंट का जवाब पत्थर से देना ही झगड़े का मूल होता है, किसी ने यदि अपशब्द कहे हैं और बदले में दूसरे ने भी ऐसा ही किया है तो समझो कि झगड़े की शुरूआत हो गयी, क्योंकि प्रत्युत्तर सदैव उग्र होता है और उग्रता झगड़ा बढ़ाने वाली होती है, झगड़े का निराकरण तो मात्र मौन ही है।
यदि किसी को गाली का उत्तर (chanakya neeti) नहीं दिया जायेगा तो उसका क्रोध शान्त हो जायेगा, इसीलिए मौन को सबसे बड़ा वरदान और सुख माना गया है। जागरूक तथा सावधान व्यक्ति को किसी प्रकार के भय की आशंका नहीं रहती।
प्रायः रोग, शत्रु तथा चोर-डाकू आदि असावधान और सोते व्यक्ति पर ही आघात करते हैं, जागते को देखकर तो सभी भाग जाते हैं। अतः स्पष्ट है कि उद्योग-समृद्धि का, तप-पाप-नाश का, मौन-शान्ति का तथा सावधानी-भय से बचने के लिए निश्चित माध्यम है।