chanakya neeti: आचार्य चाणक्य के अनुसार- शिष्य न हो तो कोई बात नहीं, परन्तु दुर्जन पुरूष को शिष्य..

chanakya neeti: आचार्य चाणक्य के अनुसार- शिष्य न हो तो कोई बात नहीं, परन्तु दुर्जन पुरूष को शिष्य..

chanakya neeti, According to Acharya Chanakya, If you are not a disciple, it doesn't matter, but a disciple to an evil person,

chanakya neeti

chanakya neeti: मनुष्य के लिए राज्य से बाहर रहना अच्छा है, किन्तु दुष्ट राजा के राज्य में रहना अनुचित है। मित्र का न होना ठीक है, परन्तु कुमित्र का संग सर्वथा अवांछनीय है। शिष्य न हो तो कोई बात नहीं, परन्तु दुर्जन पुरूष को शिष्य बनाना उपयुक्त नहीं।

पत्नीविहीन रहना अच्छा है, पत्नी के बिना भी जीवन चल सकता है, परन्तु किसी दुराचारिणी को अपनी पत्नी बनाना कदापि उचित नहीं है, क्योंकि इससे तो अपमान, अपयश और लोक निन्दा को सहन करना पड़ता है।

अतः श्रेष्ठ राजा के राज्य में रहना, सज्जन की संगति करना, योग्य पात्र को शिष्य बनाना और कुलीन पतिव्रता कन्या से ही विवाह करना सद्पुरूष के लिए वांछनीय है। यही सभी मनुष्यों के लिए हितकर है।

जिस प्रकार अपने धर्म को छोड़कर (chanakya neeti) दूसरे के धर्म का सहारा लेने से राजा का विनाश हो जाता है, उसी प्रकार जो मनुष्य अपने समुदाय (धर्म) को छोड़कर दूसरे के समुदाय का आश्रय लेता है तो वह स्वयं भी राजा की तरह नष्ट हो जाता है।

दूसरे समुदाय के लोग अन्ततः यही सोचते हैं कि जो अपनों का न हुआ वो हमारा क्या होगा? इस अविश्वास के कारण ही वह विनाश का पात्र बन जाता है।

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