Chanakya Neeti : अगर आपके जीवन में भी हैं इस तरह के शिक्षक, तो आज ही करें त्याग, वरना आपका धन और करियर दोनों हो जाएगा बर्बाद

Chanakya Neeti : अगर आपके जीवन में भी हैं इस तरह के शिक्षक, तो आज ही करें त्याग, वरना आपका धन और करियर दोनों हो जाएगा बर्बाद

नई दिल्ली, नवप्रदेश। हर व्यक्ति का पहले गुरु उनके माता पिता होते हैं। लेकिन माता-पिता के बाद शिक्षक ही उनके सबसे बड़े गुरु कहलाते हैं।

कबीर ने गुरु को गोविन्द समान बताया है, क्योंकि गुरु के बिना एक बेहतरीन भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। गुरु के बिना शिष्य को ज्ञान का मिलना असंभव है। सही और गलत के बीच का अंतर गुरु के जरिए ही प्राप्त होता है।

ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि जितना एक शिष्य को अपने गुरु के लिए समर्पित होना चाहिए उतना ही एक गुरु का कर्तव्य बनता है अपने शिष्यों को सही मार्ग दिखाना। चाणक्य ने बताया है कि जीवन में एक गुरु का त्याग कब करना चाहिए।

चाणक्य के अनुसार, जो गुरु अज्ञानी हो उसे त्यागने में ही भलाई है। गुरु शिष्य का मार्गदर्शन करता है, उसे सही शिक्षा के साथ अच्छे-बुरे में अंतर करना सिखाता है लेकिन चाणक्य के अनुसार अगर गुरु के पास ही विद्या न हो तो वह शिष्य का भला कैसे करेगा।

ऐसा गुरु से शिक्षा ग्रहण करना न सिर्फ धन की हानि होती है बल्कि वह आपके पूरे भविष्य को खराब कर सकता है, इसलिए ऐसे गुरु का तुरंत ही त्याग करने में ही भलाई है।

गुरु और शिष्य की डोर विश्वास से बंधी होती है। चाणक्य के अनुसार अगर अज्ञानी शिक्षक को देश के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। ऐसे गुरु देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं, ऐसे में से रहते चेत जाना ज़रूरी है और उनसे दूरी बनाकर रखना ही अच्छा है।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *