Central Budget No Relief : मध्यमवर्ग को कोई राहत नहीं

Central Budget No Relief : मध्यमवर्ग को कोई राहत नहीं

Central Budget No Relief: No relief to the middle class

Central Budget No Relief

Central Budget No Relief : केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो आम बजट पेश किया है। उसमें इस बार भी मध्यम वर्ग को राहत नहीं मिली है। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जिसकी वजह से करदाताओं को एक बार फिर निराशा ही हाथ लगी है। पिछले कई सालों से इनकम टैक्स स्लैब जस का तस रखा जा रहा है। जबकि हर साल मध्यमवर्ग यह उम्मीद करता है कि शायद इस बार बजट में इनकम टैक्स से थोड़ी राहत मिले।

किन्तु हर बार उसकी उम्मीद टूटती है। इस बार भी यही हुआ। मध्यम वर्ग को इस बात से संतोष करना चाहिए कि उस पर करों का बोझ नहीं बढ़ाया गया है। दरअसल मध्यमवर्ग कि सुध लेना कोई भी सरकार जरूरी नहीं समझती है। मध्यमवर्ग को राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते जबकि उसके द्वारा चुकाए गए करों से ही सरकार का राजस्व बढ़ता है और इसका खजाना भरता है। करदाताओं के पैसे से विकास योजनाएं बनाई जाती है।

गरीब और कमजोर तबके को तमाम सुविधाएं दी जाती है। इसके बाद भी मध्यवर्ग के साथ कभी भी इंसाफ नहीं होता। आम कर दाताओं की सिर्फ तारिफ की जाती है। मानों तारिफ से ही उनका पेट भर जाएगा। इस देश में महंगाई कम करने के कोई उपाए (Central Budget No Relief) नहीं किए गए है। इस बारे में सिर्फ जुमले बाजी ही की गई है। दूसरे शब्दों में कहे तो यह महंगाई बढ़ाने वाला ही बजट है। अलबत्ता किसानों को थोड़ी राहत जरूर दी गई है जो एक साल तक चले किसान आंदोलन का नतीजा है। यदि किसानों का आंदोलन नहीं चलता तो शायद किसानों को भी जो थोड़ी राहत दी गई है वह नहीं मिल पाती।

इस बजट में युवाओं को रोजगार देने का भी कोई प्रावधान नहीं है। उन्हें फिर झुनझुना थमाया गया है। इस आम बजट को विपक्ष ने असंतुलित करार दिया है और इसे महंगाई बढ़ाने वाला बजट बताया है। जबकि सरकार बजट ही मुक्त कंठ से सराहना कर रही है। बहरहाल इस बजट से अर्थव्यवस्थ्याा को कितनी मजबूती मिलेगी और देश में प्रगति की रफ्तार कितनी तेज होगी। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

यह ठीक है कि दो साल से कोरोना की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित (Central Budget No Relief) हुई है। दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारत की अर्थव्यवस्था पर भी कोरोना का कहर टूटा है जिसकी वजह से उद्योग धंधे ठप्प हुए है और करोड़ों लोगों का रोजगार खत्म हुआ है लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार का जिम्मा सिर्फ मध्यमवर्ग का ही नहीं है। मध्यवर्ग को भी कुछ तो राहत मिलनी ही चाहिए थी। इस बजट में नहीं तो ना सही लेकिन अगले वित्त बजट में सरकार को मध्यम वर्ग की सुध लेनी ही होगी और इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करना होगा। वरना मध्यम वर्ग की नाराजगी झेलने के लिए सरकार को तैयार रहना होगा।

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