Capital of Uzbekistan : पाकिस्तान से बातचीत का प्रश्र ही नहीं
Capital of Uzbekistan : उजबेकिस्तान की राजधानी समरकंद में होने वाली एससीओ की बैठक में पूरी दुनिया की नजर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर होगी। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबज शरीफ भी समरकंद पहुंच रहे है और वे भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत करने की उत्सुक्ता दिखा रहे है लेकिन भारत ने इसमें कोई दिलसच्पी नहीं दिखाई है।
जाहिर है पीएम मोदी शाहबत शरीफ के साथ बातचीत (Capital of Uzbekistan) के लिए तैयार नहीं है। सही है भारत को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं है। जबतक पाकिस्तान भारत में आतंकवाद की आग को हवा देने का काम करता रहेगा तब तक पाकिस्तान के साथ भारत की बातचीत का प्रश्र ही नहीं उठता। भारत के इस रूख को देखते हुए रूस और चीन ने भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। दरअसल रूस और चीन के लिए भारत ज्यादा महत्वपूर्ण है जबकि दुनियाभर में भीख का कटोरा लेकर घूमने वाले पाकिस्तान के साथ संबंध बनाना किसी को भी कबूल नहीं है।
दरसअल चीन भी अब भारत की बढ़ती ताकत को समझ चुका है और ताईवान के खिलाफ जंग में जब उसके पसीने छूट रहे है तो ऐसी स्थिति में वह भारत को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता। यही वजह है कि समरकंद में होने वाली बैठक के पहले चीन ने भारत चीन सीमा से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। चीन पर रूस का भी दबाव पड़ रहा है कि वह भारत से पंगा मोल न लें।
इस तरह अब बदहाली का शिकार हो चुका पाकिस्तान (Capital of Uzbekistan) दुनिया में अलग थलग पड़ता जा रहा है। नतीजतन वह भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक मुलाकात करने का इच्छुक है लेकिन भारत ने उसे हरी झण्डी नहीं दिखाई है। समरकंद में नरेन्द्र मोदी और शाहबाज शरीफ के बीच बातचीत की कोई संभावना नहीं है। भारत को अपने इस रूख पर कायम रहना चाहिए तभी पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने पर आएगी।