Business Stalled In Pakistan : पाकिस्तान में हाहाकार, ठप हुआ कपड़ा कारोबार, जानें 70 लाख लोग कैसे हो गए बेरोजगार
नई दिल्ली, नवप्रदेश। कंगाल पाकिस्तान में आटे का संकट थमा नहीं कि बिजली संकट पैदा हो गया। एक एक करके सभी सेक्टर्स पर कर्ज और कंगाली की मार साफ नजर आ रही है। रेल किराए के दाम आसमान छू रहे हैं।
अब पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों ने चेतावनी दे दी है कि कपड़ा कारोबार पूरी तरह ठप हो गया (Business Stalled In Pakistan) है। हालात इतने बुरे हो गए हैं कि कपड़ा कारोबार से जुड़े 70 लाख मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया गया है।
जानिए कपड़ा उद्योग की कैसे टूट गई कमर?
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर करीब 4 अरब डॉलर तक के स्तर पर ही रह गया है, जो कि फरवरी 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर रहा है।
कपड़ा उद्योग के लिए दुनिया में मशहूर पाकिस्तान में कपड़ा निर्यात में आई गिरावट के कारण करीब 70 लाख श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया है, जिससे वहां का कपड़ा उद्योग पतन के कगार पर पहुंच गया (Business Stalled In Pakistan) है।
पिछले साल आई बाढ़ से कपास की फसल का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया। कपास के नष्ट होने से कपड़ा कारोबार पर बुरा असर पड़ा। साथ ही बाढ़ की वजह से 1,700 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई। करीब साढ़े तीन करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित (Business Stalled In Pakistan) हुए।
कच्चे माल की बड़ी खेप कराची हवाई अड्डे पर
पाकिस्तान कपड़ा उत्पादन के मामले में अग्रणी देशों में से एक है। जो पाकिस्तान 2021 में 19.3 अरब डॉलर का कपड़ा दुनियाभर में निर्यात करता था। अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं।
बाढ़ के बाद कपास की कमी से पाकिस्तान की छोटी कपड़ा मिलें बंद हो गई हैं। जबकि इस देश के कुल निर्यात का आधा हिस्सा कपड़ा कारोबार का रहा है।
ठप हुए कपड़ा कारोबार पर आईएमएफ के कठोर नियमों की दोहरी मार
जो मिलें बंद हुईं, इनमें बनने वाली चादरों, तौलियों और अन्य डेनिम कपड़ों को यूरोप और अमेरिका में निर्यात किया जाता था। इसके अलावा, हालिया टैक्स वृद्धि ने इस उद्योग को और बर्बाद कर दिया।
कपड़ा उद्योग में गिरावट का यह समय भी बहुत खतरनाक है। इस समय पाकिस्तान नगदी की तंगी, महंगाई और घटते मुद्रा भंडार के संकट से तो जूझ ही रहा है।
साथ ही उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कठोर नियमों का भी सामना करना पड़ रहा है। सरकारी प्रतिबंधों के कारण, कपड़ा उद्योग आवश्यक कच्चा माल नहीं खरीद पा रहा है और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय मांग की आपूर्ति भी नहीं कर पा रहा है।