BREAKING: LIC के IPO को लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध का संकट, बड़ा फैसला लेने की तैयारी में मोदी सरकार

BREAKING: LIC के IPO को लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध का संकट, बड़ा फैसला लेने की तैयारी में मोदी सरकार

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LIC IPO

नई दिल्ली। LIC IPO 2022: एलआईसी का आईपीओ जो देश में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होने की संभावना है, अब रूस-यूक्रेन युद्ध के संकट का सामना कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार अब बड़ा फैसला लेने के लिए की तैयारी है।

एलआईसी के आईपीओ को लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध संकट मंडरा रहा है देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ को लेकर निवेशक उत्सुक थे। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई थी। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध का असर शेयर बाजार में भी महसूस किया जा रहा है। इसलिए एलआईसी का आईपीओ भी प्रभावित हो सकता है।

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने एलआईसी (LIC IPO 2022) के आईपीओ को स्थगित करने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के मद्देनजर एलआईसी के आईपीओ पर पुनर्विचार किया जा सकता है। निर्मला सीतारमण के इस बयान से निवेशकों को बड़ा झटका लगने की संभावना है। एलआईसी के आईपीओ के लिए निवेशकों को अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है।

आईपीओ पर सलाह देने वाले बैंकरों ने सरकार को रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए स्टॉक ऑफर के लॉन्च को स्थगित करने की सलाह दी है। यदि आईपीओ में देरी होती है, तो यह नियोजित प्रस्तावों की बढ़ती सूची को अवरुद्ध कर देगा।

अगर सरकार आईपीओ के समय की समीक्षा करती है, तो एलआईसी के आईपीओ के चालू वित्त में आने की संभावना कम है। सरकार का लक्ष्य इस साल के बजट घाटे को 31 मार्च, 2022 तक कम करना है। एलआईसी ने 13 फरवरी को आईपीओ का ड्राफ्ट सेबी को सौंप दिया है। सरकार एलआईसी में पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। इसके जरिए सरकार का लक्ष्य 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का है।

सेबी को सौंपे गए दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। यह 30 सितंबर, 2021 तक है। इसका बाजार मूल्य अभी पता नहीं चला है। एलआईसी का बाजार मूल्य 16 लाख करोड़ रुपये माना जाता है।

पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशी निवेशकों को आईपीओ में शामिल करने के लिए अपनी एफडीआई नीति में बदलाव किया। बदलाव के तहत एलआईसी के आईपीओ में स्वत: ही 20 फीसदी तक विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई है। फिलहाल ऑटो बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।

आईपीओ विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देता है। हालांकि कानून एलआईसी में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं देता है। इसलिए कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकारी बैंकों के पास 20 फीसदी एफडीआई की सीमा है। एलआईसी के लिए भी यही सीमा रहेगी।

कुमार ने कहा था कि कंपनी मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हुए है। हर कोई मार्च में आईपीओ लाने की उम्मीद कर रहा है। चूंकि अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम शेयर बाजार को प्रभावित करते हैं, रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा तनाव एलआईसी के आईपीओ को भी प्रभावित करने की संभावना है। इसलिए एलआईसी के आईपीओ में और देरी होने की संभावना है।

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