बड़ी खबर! अंतत: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले में आया फैसला; अंदुरे, कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा..

बड़ी खबर! अंतत: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले में आया फैसला; अंदुरे, कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा..

Big news! Finally Dr Narendra Dabholkar murder case got verdict, Life imprisonment for Andure, Kalaskar | Narendra Dabholkar Case,

Dr Narendra Dabholkar murder case

-डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई

पुणे। Dr Narendra Dabholkar murder case: आज शुक्रवार (10 तारीख) को अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले की सुनवाई हो रही है। इससे पहले जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई चल रही थी। चूँकि यह अब पूरा हो चुका है, मामले का फैसला आज हुआ।

इस फैसले के अनुसार, वीरेंद्र तावड़े को बरी कर दिया गया, जबकि सचिन प्रकाशराव आंदुरे और शरद भाऊसाहेब कालस्कर को सार्वजनिक उपद्रव की सजा सुनाई गई और पांच लाख का जुर्माना लगाया गया। साथ ही डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट (Dr Narendra Dabholkar murder case) ने कहा किसी की भी हत्या करना दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। गवाह से जिरह के दौरान अभियुक्तों के वकील द्वारा हत्या के समर्थन में दिया गया बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए।

डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह सुबह की सैर पर निकले थे। इस घटना ने राज्य को झकझोर कर रख दिया। दाभोलकर की हत्या के आठ साल बाद हत्या का मुकदमा शुरू हुआ। हत्या की जांच के बाद पुणे की विशेष अदालत ने 5 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए और सुनवाई शुरू हुई। यह मामला करीब ढाई साल से चल रहा था।

डॉ. महर्षि वि_ल रामजी शिंदे ब्रिज, नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई। शुरुआत में इस हत्याकांड (Dr Narendra Dabholkar murder case) की जांच पुणे पुलिस कर रही थी। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। 15 सितंबर 2021 को डॉ. दाभोलकर हत्याकांड, पांच लोगों वीरेंद्रसिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कालस्कर, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ आरोप तय किए गए।

तावड़े, अंदुरे, कालस्कर और भावे पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120 (बी) (साजिश), 34 और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं और यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। दो आरोपी संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

इस बीच मामले की शुरुआत में एक साल तक जिला न्यायाधीश एस.आर. द्वारा सुनवाई की गई। इसकी शुरुआत नवांदर के दरबार से हुई। उसके बाद नवांदर का तबादला हो गया और वर्तमान में पी.पी. इस मामले की सुनवाई जाधव की अदालत में चल रही है।

सीबीआई के वकील प्रकाश सूर्यवंशी ने मामले में 20 गवाहों से पूछताछ की। बचाव पक्ष के वकील प्रकाश सालसिंगिकर, वीरेंद्र इचलकरंजीकर और सुवर्णा अवाद ने कार्रवाई की। उन्होंने कोर्ट में 2 गवाह पेश किए। अब इस केस का काम पूरा हो चुका है और आज दाभोलकर केस का फैसला सुनाया गया।

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