Ascites treatment : जलोदर का उपचार
Ascites treatment – शारीरिक रूप से पुष्ट स्त्री-पुरूषों के लिए जलोदरारी 20 मिग्रा और इच्छाभेद रस 20 मिग्रा मिलाकर पुनर्नवाष्टक क्वाथ (काढ़े) या पुनर्नवा मूल के रस 5 ग्राम के साथ मधु मिलाकर सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।
– शिलाजत्वादि लौह 20 मिग्रा, सर्वतोभ्रद 20 ग्राम मिलाकर एक मात्रा बनाएं। इस मिश्रण को बेलपत्र के 10 ग्राम रस, 1 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण और मधु मिलाकर दिन में तीन बार सेवन कराएं।
– शारीरिक रूप से निर्बल रोगियों को आरोग्यवद्धिनी 1 ग्राम, पुनर्नवाष्टक क्वाथ के साथ सुबह और शाम को दो बार सेवन कराएं।
वृक्क शोथ की विकृति से उत्पन्न जलोदर रोग में पुनर्नवा मण्डूर 1 ग्राम, पुनर्नवा रस 5 ग्राम और मधु मिलाकर सेवन कराएं।
Ascites treatment – रात्रि में सोते समय कृष्णबीज चूर्ण 3 ग्राम गर्म दूध से सेवन कराएं। इन औषधियों के सेवन से वृक्कशोध से उत्पन्न जलोदर नष्ट होता है। प्लीहा विकृति से उत्पन्न जलोदर में रोगी को प्लीहोदारि लौह 500 मिग्रा. (एक मात्रा) सुबह-शाम दो बार पुनर्ववा के रस के साथ सेवन कराएं।
– यकृत विकृति से उत्पन्न जलोदर मे यदरि लौहे 40 मिग्रा. और प्रवाल पंचामृत 20 मिग्रा. प्रातः और सायं दो बार पुनर्नवा के रस से देने पर रोग नष्ट होता है। इसके साथ रोगी को भोजन के बाद पुनर्नवासव (20 मिली.) मात्रा में जल मिलाकर पिलाएं।
– सोंठ, नागरमोथा, कुटकी, छोटी पीपर, देवदारू, इंद्र जौ, कुटकी, त्रिफला, स्वर्णमाक्षिक, पीपरामूल और लौह भस्म सभी वनौषधियां (20 मिली.) मात्रा में जल मिलाकर पिलाएं।
– उदर पर प्रतिदिन महानारायण तेल की मालिश हल्के हाथों से करने से लाभ होता है।
– प्लीहोदरजन्य जलोदार में रोहितक लौह (500 मिग्रा.) भी पुनर्नवा के रस के साथ सुबह-शाम सेवन करा सकते हैं।
– हृदय विकृति से उत्पन्न जलोदर में स्वर्ण भस्म 10 मिग्रा., ताम्र भस्म 20 मिग्रा. मधु से सेवन करें। भोजनोपरांत पुनर्नवासव का जल मिलाकर सेवन करें।
Ascites treatment – सर्वतोभद्र 200 मिग्रा. मात्रा में बिल्व पत्रों का रस और मधु मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से वृक्क शोथ से उत्पन्न जलोदर नष्ट होता है। इसके साथ रोगी को पुनर्नवादि क्वाथ (काढ़ा) प्रतिदिन दो बार 30 ग्राम मात्रा में अवश्य पिलाएं।
– पुनर्नवासव 15 मिलि. मात्रा में नारियल जल के साथ भोजन के बाद पिलाने से बहुत लाभ होता है। यह शोघ को शीघ्र नष्ट करता है।