Amar Jawan Jyoti : देर आयद दुरूस्त आयद

Amar Jawan Jyoti : देर आयद दुरूस्त आयद

Amar Jawan Jyoti : late come late

Amar Jawan Jyoti

Amar Jawan Jyoti : देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर पिछले ५० सालों से जल रही अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में विलय कर दिया गया। निश्चित रूप से यह देर से लिया गया दुरूस्त फैसला है। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति इसलिए स्थापित की गई थी क्योंकि उस समय भारत का अपना राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं था।

अब जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन चुका है तो अमर जवान ज्योति को वहां स्थापित करना सही फैसला है किन्तु अब इस मामले को लेकर भी सियासत हो रही है। कंाग्रेस पार्टी में इसका विरोध किया है जबकि जवानों की शहादत की स्मृति पर सियासत नहीं की जानी चाहिए। भारतीय सेना के पूर्व अधिकारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है।

भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि जिस पार्टी के नेता भारतीय सेना के शौर्य पर सवालिया निशान लगाते रहे है उन्हे इस तरह के बयान नहीं देने चाहिएा कि अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट से हटाना शहीदों को अपमान है। अब इंडिया गेट पर जहां अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की वहां नेता जी सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी ताकि उस स्थान का महत्व बना रहे।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की १२५वीं जयंती पर इंडिया गेट में उनकी विशाल प्रतिमा लगना नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी और उनसे देश की युवा पीढ़ी प्रेरणा लेगी। ऐसा लगता है कि सुभाष चंद्र बोस की वहां प्रतिमा लगाने के फैसले से भी कुछ लोग नाखुश है इसलिए इस मामले को लेकर तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। भारतीय जवानों की शहादत का कोई अपमान नहीं कर सकता।

इस बारे में अफवाह गैंग ने यह अफवाह भी उड़ा दी है कि अमर जवान ज्योति को बुझा दिया गया था जबकि हकीकत यह है कि अमर जवान ज्योति को ससम्मान इंडिया गेट से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक तक ले जाया गया और वहां पहले से प्रज्जवलित ज्योति में अमर जवान ज्योति का विलय किया गया। इस काम का विरोध करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

राजनीति अपनी जगह है और जवानों की शहादत को अक्षूण्ण रखना अपनी जगह है। इसे लेकर बेवजह का विवाद खड़ा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे देश की छवि पर असर पड़ता है। एक तो यही अफसोस की बात है कि आजादी के ७० सालो बाद भारत में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन पाया जबकि दुनिया के तमाम छोटे बड़े देशों में उनके राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन चुके थे।

अब जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन गया है और वहां अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) स्थापित कर दी गई है तो इसे लेकर विवाद नहीं होना चाहिए बल्कि इस फैसले का सभी को स्वागत करना चाहिए।

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