जिंदा यादें : जब जोगी ने कहा- राजनीति पांव से नहीं, दिमाग से होती है

जिंदा यादें : जब जोगी ने कहा- राजनीति पांव से नहीं, दिमाग से होती है

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यशवंत धोटे

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता के तौर पर 1998 (दिन दिनांक याद नहीं) में देशव्यापी दौरे पर निकले अजीत जोगी से मैंने दुर्ग के सर्किट हाउस में एक सवाल किया था कि मध्यप्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को आप कितना प्रासंगिक मानते हैं। इस प्रश्न के बाद उनके चेहरे की भाव भंंिगमा यह बता रही थी कि कांग्रेस का एक तबका आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की न केवल मजाक उड़ाता हंै बल्कि निकट भविष्य में बनने वाले नए राज्य को भी आदिवासी मुख्यमंत्री से महरूम रखा जा सकता है। सो उन्होंने मेरे सवाल के जवाब में अविभाजित मध्यप्रदेश और संभावित छत्तीसगढ़ के भूगोल के साथ सामाजिक विज्ञान का पूरा खाका रख दिया था। लेकिन साथ में यह भी जोड़ा था कि जिस दिन नया राज्य छत्तीसगढ़ बनेगा वहां पहले दिन से आदिवासी मुख्यमंत्री होगा। और वैसे ही हुआ। हालांकि इससे पहले काफी उठापटक हुई। फिर भी जोगी नए राज्य के पहले सीएम बने। उन्हें भले ही समय कम मिला हो लेेकिन उनकी रखी गई बुनियाद पर आज राज्य का अधोरसंरचना विकास दिखता है। मेरे पत्रकारिता के केरियर में मेरी पहली हेलीकॉफ्टर यात्रा भी अजीत जोगी के साथ ही हुई । दुर्ग से महासमुन्द के बीच 2003 में इस आधे घन्टे की संक्षिप्त यात्रा का संस्मरण इसलिए भी जरूरी हैं कि उस हेलीकाफ्टर में मौजूदा मुख्यमंत्री और तब के परिवहन मंत्री भूपेश बघेल और दिवंगत कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल भी थे । उस दिन महासमुन्द में पिछड़ा वर्ग का सम्मेलन था । मैने आधे घन्टे के इस सफर में आउटलुक मैगजीन के लिए उनका इन्टरव्यू तो कर लिया था लेकिन उस समय हेलीकाफ्टर में मौजूद तीनो नेताओं की एक दूसरे के प्रति तल्खी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। महासमुन्द में सम्मेलन के बाद तीनो नेता अपने -अपने वाहनों से रायपुर आए लेकिन मुझे वापस छोडऩे के लिए जोगी जी ने महासमुन््द के विधायक अग्रि चनद्राकर को मेरे साथ हेलीकाकाफ्टर में दुर्ग तक भेजा । 2009 के लोकसभा चुनाव के दरम्यान एक बार फिर आउटलुक के लिए स्टोरी करने उनके क्षेत्र गया तो सराईपाली के रेस्ट हाउस में जोगी के साथ लगभग तीन घन्टे की मुलाकात रही। उस समय जोगी व्हील चेयर पर थे लेकिन जबरदस्त विल पॉवर उन्हें कभी आभास ही नहीं होने देता था कि वे व्हील चेयर पर हैं। उससे भी अजीबोगरीब वाकया मैंने तब देखा जब एक्सीडेन्ट के बाद जोगी जी दिल्ली में मेहरोली के एक अस्पताल में फिजियोथेरपी कर रहे थे। मै और कामरेड चितरंजन बख्शी उन्हें देखने उस अस्पताल पंहुच गए। जब हम मिले तो कामरेड बख्शी ने जोगी से कहा, आपके दोनों पांव खराब हो गए जोगी अब राजनीति कैसे करेंगे। लेकिन जोगी का जवाब सुनकर कामरेड अवाक रह गए। जोगी बोले थे कामरेड राजनीति पांव से थोड़ी होती है दिमाग से होती है वह ठीक हंै। क्यो यशवंत कहकर जोगी जी मुझसे हामी भी भरवा ली। यह वह दौर था जिससे पहले मैं आउटलुक में लगातार जोगी जी के खिलाफ लिख रहा था। लेकिन परोक्ष मुलाकातों में वे कभी इस बात का आभास ही नही होने देते थे कि वे मुझसे नाराज थे। 2012 में जब मैं नवप्रदेश को दैनिक के रूप में लांच करने से पहले उनके पास गया और मंैने नवप्रदेश की अवधारणा बताई तो काफी खुश हुए। उन्हें अखबार का यह नाम खूब पसन्द आया था उन्हें अफसोस था कि नवप्रदेश उनके मुख्यंमत्रीत्व काल में क्यों नहीं शुरू हुआ। लेकिन जोगी जी भी जानते थे कि उस समय आउटलुक के रूप में हम पर राष्ट्रीयता का भूत सवार था।

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