Agneepath Scheme : विरोध का नाम पर हिंसा का तांडव अनुचित
Agneepath Scheme : केन्द्र सरकार ने सेना में अल्पकालिक नियुक्ति के लिए जो अग्नीपथ योजना लागू करने की घोषणा की है उसका जगह जगह विरोध होने लगा है। सबसे पहले बिहार में इस योजना के खिलाफ युवाओं का आक्रोश सामने आया और अब देश के 14 राज्यों में अग्रीपथ योजना के विरोध में बवाल उठने लगा है। किसी भी योजना के गुणदोष के आधार पर उसका समर्थन या विरोध करने का सबको अधिकार है लेकिन विरोध के नाम पर हिंसा का तांडव करना अनुचित है। बिहार में तो इस कदर हिंसक विरोध हो रहा है कि वहां आम जनजीवन प्रभावित होने लगा है।
अनेक ट्रेनों को बर्निंग ट्रेन बना दिया गया। कई रेलवे स्टेशनों को फूंक (Agneepath Scheme) दिया गया, बसें जला दी गई और सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। बिहार की देखादेखी अन्य राज्यों में भी अग्रीपथ योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन होने लगे है। जिसकी वजह से देश में एक तरह से अराजकता का माहौल निर्मित होने लगा है। इस हिंसक प्रदर्शन के चलते रेलवे ने लगभग ३६२ ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया है इसकी वजह से विभिन्न रेलवे स्टेशनों में लाखों लोग फंस गए है।
इसी तरह बस सेवा प्रभावित होने से भी लोगों को आवागमन में भारी परेशानी उठानी पड़़ रही है। अग्रीपथ योजना का विरोध करने वालों को यह बात समझनी चाहिए कि उनके हिंसक प्रदर्शन से आम जनता को कितनी तकलीफ उठानी पड़ रही है। उनकी लड़़ाई सरकार से है तो वे सरकार के सामने शांतिपूर्वक अपना विरोध जताएं लेकिन देश की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं, ऐसे कर के वे खुद अपना भी नुकसान कर रहे है। इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहे है उनकी कैरियर तो अब चौपट होना तय है।
यही नहीं बल्कि उनके परिजनों (Agneepath Scheme) को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल कोई भी सझदार छात्र इस योजना का विरोध नहीं कर सकता। दरअसल कुछ विपक्षी पार्टियां इसमें राजनीति कर रही है और किराए के गुंडो को आगे कर छात्रों को हिंसक आंदोलन के लिए उकसा रहींहै। यह बात भी युवा शक्ति को समझना चाहिए और इन राजनीतिक दलों के बहकावे में आकर खुद को उनके हाथों की कठपुतली नहीं बनने देना चाहिए