Navratri 4th Day : नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए संपूर्ण विधि और मंत्र

Navratri 4th Day : नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए संपूर्ण विधि और मंत्र

Navratri 4th Day: Worship Maa Kushmanda on the fourth day of Navratri, know the complete method and mantra

Navratri 4th Day

Navratri 4th Day : शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। 29 अगस्त को नवरात्रि का चौथा दिन है। देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है।

मां कूष्मांडा सूर्य (Navratri 4th Day) के समान तेज वाली हैं। जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कूष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।

पूजा विधि 

नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है। 

पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। चाैथे नवरात्रि में देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद (Navratri 4th Day) ग्रहण करें।

माता का मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

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