PM’s Candidates : पीएम पद के लिए दावेदारों के बीच होड़
PM’s Candidates : लोकसभा चुनाव में अभी लगभग दो साल का समय शेष है लेकिन अभी से विपक्षी नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए होड़ लग गई है। नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब खुद को भारत का भावि प्रधानमंत्री मानकर चल रहे हैं। अन्य क्षेत्रियों पार्टियों के मुकाबले उनकी आम आदमी पार्टी का पड़ला जरूर भारी है। कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी दो प्रदेशों में सरकार है। इसलिए यदि अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, नीतिश कुमार और के. चंन्द्रशेखर राव के मुकाबले खुद को प्रधानमंत्री पद का ज्यादा सशक्त दावेदार मान रहे हैं तो वे कुछ गलत नहीं कर रहे हैं।
नीतिश कुमार हो या ममता बनर्जी या के चन्द्रशेखर राव (PM’s Candidates) इनकी पहचान उनके राज्यों तक ही सीमित है। अन्य राज्यों में उनका कोई जनाधार नहीं है। इसके बाद भी वे प्रधानमंत्री पद के लिए जोड़तोड़ में लगे हुए है। ममता बनर्जी ने पहले ही राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी दलों को एक जुट करने की मुहिम चलाई थी। उसके बाद के चन्द्रशेखर राव भी विपक्षी एकता बनाने की मुहिम पर लग गए है और इसी सिलसिले में उन्होंने पिछले दिनों बिहार जाकर नीतिश कुमार से बातचीत की थी और अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी विपक्षी एकता का बिड़ा उठा लिया है।
तीन दिनों तक नई दिल्ली में रहकर उन्होंने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और शरद पवार के अलावा वामपंथी नेताओं के साथ भी लंबी चर्चा की है। किन्तु इस कवायद में उन्हें कोई खास कामयाबी हासील नहीं हुई है। विपक्षी एकता की बात पर तो सभी सहमत है लेकिन संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर पेंच फंस जाता है। अरविंद केजरीवाल न तो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री चेहरा बनाने के लिए राजी होगे न ही नीतिश कुमार, केसीआर या ममता बनर्जी के नाम पर सहमत होंगे।
यही स्थिति पीएम पद के अन्य उम्मीद्वारों की भी है वे भी इस पद के लिए खुद को ही योग्य बताएंगे और किसी दूसरे के नाम पर शायद ही सहमत पाएंगे। ऐसी स्थिति में भाजपा के खिलाफ बनने वाला यह नया गठबंधन लोकसभा चुनाव में कितनी बड़ी और कड़ी चुनौती दे पाएगा यह कह पाना मुहाल है। अभी तो विपक्षी की ओर से पीएम पद के लिए कुछ ही नाम सामने आए है।
आने वाले समय में पीएम पद (PM’s Candidates) के उम्मीद्वारों की सूची में और भी कई नाम जुड़ सकते है। देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी एकता के नाम पर खुद को भावी पीएम का चेहरा बनवाने की इस कवायद में नीतिश कुमार, केसीआर और ममता बनर्जी को कितनी सफलता मिलती है और अरविंद केजरीवाल का इसमें कैसी भूमिका होती है।