Delhi Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट का स्वागतेय निर्णय
Delhi Supreme Court : देश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियोंं द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए चुनावी घोषणा पत्रों में लोकलुभावन घोषणाएं की जाती है जिसपर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन वोट कबाडऩे के लिए अब कुछ राजनीतिक दल देश में मुफ्तखोरी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने लगे है। इसका उन्हे चुनावों में आशातीत लाभ भी मिल रहा है।
सत्ताप्राप्त करने के लिए सरकारी खजाने को बेदर्दी से लुटाया जा रहा है जिसके चलते जहां एक ओर उन राज्यों में विकास कार्य बाधित हो रहे है वहीं दूसरी ओर वो राज्य दिवालिएपन की कगार पर भी पहुंच रहे है। इसमें सबसे आगे है आम आदमी पार्टी। जिसने पहले पहल नई दिल्ली में मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी के साथ ही महिलाओं को मुफ्त में यात्रा कराने के अलावा और भी कई ऐसी घोषणाएं (Delhi Supreme Court) की जिसके चलते उसे प्रचंड बहुमत मिल गया।
दिल्ली मॉडल को उसने पंजाब में भी आजमाया और पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। ये दोनों ही राज्य गले तक कर्ज में डूब चुके है। उनकी देखादेखी अन्य राज्यों में भी लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने ऐसी ही मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं की झड़ी लगा दी। नतीजतन इन राज्यों में भी आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी है। ऐसे सभी राज्य केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे है। यदि केन्द्र सरकार इन्हे वित्तीय सहयता न करे तो इनमें से कई राज्यों की हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी।
एक लंबे समय से ऐसी घोषणाओं पर रोक लगाने की मांग की जाती रही है। बहरहाल अब सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कठोर रूख अख्तियार किया है और केन्द्र सरकार को निर्देशित किया है कि वह ऐसी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए कारगर कदम उठाएं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निश्चित रूप से स्वागत योग्य है।
ऐसा निर्णय तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। बहरहाल देर आयद दुरूस्त आयद। उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए केन्द्र सरकार शीघ्र ही ऐसी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान (Delhi Supreme Court) करेगी।