Used in Moosewala Murder : AK-47 का बाप है AN-94, हर मिनट में 600 राउंड गोली

Used in Moosewala Murder : AK-47 का बाप है AN-94, हर मिनट में 600 राउंड गोली

Moosewala Murder Used in : AK-47's father is AN-94, 600 rounds per minute

Moosewala Murder Used in

चंडीगढ़। Used in Moosewala Murder : पंजाब के चर्चित सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या (Sidhu Moose Wala Murder) के बाद पंजाब पुलिस कातिलों की तलाश में जुटी है। मूसेवाला पर जहां हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं वहां से AN-94 राइफल के कई खोखे मिले हैं। रूस में बनी यह असॉल्ट राइफल एके-47 से भी ज्यादा घातक है। महज चंद सेकेंड्स में यह राइफल सैकड़ों गोलियां दाग सकती है।

जानें इसकी विध्वंसक ताकत

एएन-94 राइफल को (Used in Moosewala Murder) रूस ने एके-47 राइफल से रिप्लेस किया था। हालांकि अभी यह कम इस्तेमाल होती है। एवतोमैत निकोनोव यानी एएन-94। 80 के दशक से 90 के दशक के शुरुआती सालों के बीच इसको डिजाइन किया गया। गेनाडी निकोनोव इसके मुख्य डिजाइनर हैं, जिन्होंने निकोनोव मशीनगन बनाई थी। रूस में 1997 से इस असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल हो रहा है। इस राइफल की खास बात यह है कि बर्स्ट फायर करते वक्त इससे दो गोलियां एक साथ निकलती हैं। इन गोलियों के निकलने के बीच चंद माइक्रोसेकेंड्स का अंतर होता है। इसी वजह से सामने वाले को एकसाथ दो गोलियां लगती हैं।

हर मिनट में निकली हैं 600 राउंड गोली

पूरी तरह से ऑटोमैटिक मोड में इस रूसी राइफल से हर मिनट 900 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 600 राउंड गोलियां निकली हैं। 700 मीटर फायरिंग रेंज वाली एएन-94 से बर्स्ट मोड में 1800 गोलियां दागी जा सकती हैं। हालांकि इसकी डिजाइन काफी जटिल है और इसे एके-47 की तरह प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इस राइफल में 30 से 45 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है। साथ ही 60 राउंड की कैस्केट मैगजीन का भी इस्तेमाल होता है। हालांकि आर्म्ड फोर्सेज के बीच यह एके-47 जैसी जगह नहीं बना पाई। अभी रूस में इसका इस्तेमाल गृह मंत्रालय में आने वाले सैन्य बल, आर्मी और पुलिस कर रही है।

3 किलो से अधिक है इसका वजन

एएन-94 का वजन 3 किलो 850 ग्राम तक (Used in Moosewala Murder) होता है। वहीं बट के साथ राइफल की लंबाई 37.1 इंच और बिना बट के 28.7 इंच तक होती है। एएन-94 के बैरल की लंबाई करीब 16 इंच होती है। जबल बर्स्ट ऑप्शन की वजह से इससे बहुत तेजी से गोलियों की बौछार होती है। अब सवाल उठ रहे हैं कि पंजाब तक कैसे यह खतरनाक राइफल पहुंच गई। बर्स्ट मोड और ऑटोमैटिक फायरिंग की ताकत के चलते इसे बहुत विध्वंसक माना जाता है और सामने वाले का बचना नामुमकिन होता है।

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