CM भूपेश की पहल : ग्रामीण अर्थव्यवस्था का होगा विकास, शहरी बाजार से जुड़ेगा ग्रामीण उद्योग
रायपुरनवप्रदेश। CM Bhupesh initiative : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के लिए गांवों में तैयार उत्पादों को शहरों के मार्केट से जोड़ने की नई पहल की है। अब गांवों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए शहरों में सी-मार्ट के आधुनिक शो रूम खोलने निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की योजनाओं के अंतर्गत महिला स्व सहायता समूहों, शिल्पियों, बुनकरों, दस्तकरों, कुम्भकरों अथवा अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पादों का समुचित मूल्य सुनिश्चित करने हेतु इनकी व्यावसायिक ढंग से मार्केटिंग के लिए शहरों में आधुनिक शोरूम की तरह सी-मार्ट स्थापित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने उद्योग विभाग को तत्काल निर्देश जारी करने को कहा है।
उद्यमियों को लाभ पहुंचाने बनेगी योजना
सी-मार्ट की स्थापना से इन सभी वर्गों के उद्यमियों को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh initiative) ने मुख्य सचिव को निर्देशित करते हुए कहा है कि इसके लिए प्रथम चरण में सभी जिला मुख्यालयों में नगर निगमों की स्थिति में 8 से 10 हजार वर्गफुट तथा नगर पालिकाओं की स्थिति में 6 से 8 हजार वर्गफुट में आधुनिक शो रूम की तरह सी मार्ट की स्थापना की जाए।
आवश्यकतानुसार होगी भूमि आबंटित
सीएम बघेल ने सी-मार्ट की स्थापना के लिए तात्कालिक रूप से कार्य आरंभ करने के लिए कहा है। इसके लिए उन्होंने वर्तमान में उपलब्ध किसी शासकीय भवन का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि जिन स्थानों में यदि उपयुक्त भवन उपलब्ध न हो वहां कलेक्टर, उद्योग विभाग अथवा वन विभाग को अच्छी लोकेशन (CM Bhupesh initiative) में आवश्यकतानुसार भूमि आबंटित किया जाए। मुख्यमंत्री ने सी-मार्ट के लिए उपलब्ध भवनों के अपग्रेडेशन अथवा नये भवन के निर्माण हेतु विभिन्न योजनाओं की विभागीय राशि, सी.एस.आई.डी.सी. अथवा लघु वनोपज संघ की राशि उपयोग करने को कहा है। सीएम बघेल ने कहा है कि सी-मार्ट के निर्माण एवं संचालन हेतु अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होने पर उद्योग विभाग से दी जाएगी।
मार्केटिंग पर दिया जोर
मुख्यमंत्री ने ’छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ के उत्पादों की तरह की इन वस्तुओं की मार्केटिंग की व्यवस्था लघु वनोपज संघ द्वारा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने जिला कलेक्टरों को महिला समूहों द्वारा निर्मित एवं अन्य सभी पारंपरिक उत्पादकों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रेन्डिग एवं मार्केटिंग की व्यवस्था हेतु प्रबंध संचालक, लघु वनोपज संघ से समन्वय करने को कहा है।